हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथम :
आपको अल्लाह तआला की उन नेमतों के लिए प्रशंसा करनी चाहिए, जो उसने आपको प्रदान की हैं, जैसे कि इस्लाम और मार्गदर्शन की नेमत, स्वास्थ्य और कल्याण, सुनने, देखने और बोलने की क्षमता और अन्य अनगिनत चीजें, जिनमें आपके द्वारा उल्लिखित विशेषताएँ और पेशेवर एवं पारिवारिक जीवन में सफलता शामिल हैं। तथा आपकी ज़बान को अल्लाह तआला की प्रशंसा और शुक्रिया में लीन होना चाहिए, क्योंकि कितने लोग ऐसे हैं जो इन नेंमतों या इनमें से कई से वंचित हैंॽ
यदि मनुष्य उस चीज़ से संतुष्ट हो जाए, जो अल्लाह तआला ने उसके लिए विभाजित किया है, और उसने उसे जो कुछ दिया और प्रदान किया है उसमें अपने ऊपर अल्लाह तआला के उपकार (एहसान) का आभास करे, तो उसका मन आश्वस्त हो जाएगा, वह दिल की शांति का आनंद लेगा और उसका भय और दु:ख दूर हो जाएगा। और यह अक्सर उसे उन बहुत-सी चीजों से सुरक्षित रखता हैं, जो उसे परेशान कर रही होती हैं, जैसे कि एकाग्रता की कमी, लोगों से शर्माना और इसी तरह की अन्य चीज़ें।
दूसरी बात :
आप आश्वस्त रहें कि आपके द्वारा उल्लिखित इन चीज़ों का उपचार, सुधार और परिवर्तन संभव है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप ऐसा करने की सच्ची इच्छा रखते हों और उसके लिए सहायक कारणों को अपनाएँ। और उनमें से एक सबसे बड़ा कारण अल्लाह सर्वशक्तिमान से यह प्रश्न करना है कि वह आपकी नैतिकता को बेहतर कर दे और आपको परिपक्वता प्रदान करे और आपको आपके नफ़्स (आत्मा) की बुराई से सुरक्षित रखे, और इसी तरह की अन्य दुआएँ। इसलिए इन अर्थों में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित दुआओं को अधिक से अघिक पढ़ने के इच्छुक बनें।
अपनी याददाश्त को बढ़ाने और भूलने की बीमारी को कम करने के साधनों में से एक साधन, अपने दिमाग़ को व्यस्त रखना और उसे अल्लाह की किताब की आयतों को याद करने का आदी बनाना है। क्योंकि एक व्यक्ति जितना अधिक याद करने का आदी होगा, वह उसके लिए उतना ही आसान हो जाएगा और वह उसके लिए सक्रिय होगा, तथा उतना ही उसे प्राप्त करने की उसकी क्षमता बढ़ जाएगी।
उसके साधनों में से एक यह है कि : फ़ज़ूल (आवश्यकता से अधिक) देखने, सुनने, बोलने, खाने और सोने को त्याग कर दिया जाए, ताकि आपका दिल उस बात को याद रखने के लिए तैयार हो जाए जो फायदेमंद है, क्योंकि व्यस्त करने वाली चीज़ों की अधिकता दिमाग़ को अस्त-व्यस्त कर देती है और मन में बिखराव पैदा कर देती है।
फ़ज़ूल से अभिप्राय इन चीजों में इतनी वृद्धि है जिसकी आपको आवश्यकता नहीं है और न ही उसका कोई लाभ है।
इसपर सहायक साधनों में से एक : हराम चीज़ों का त्यागना है, ख़ासकर खाने-पीने और देखने में। इसी के संबंध में इमाम शाफ़ेई रहिमहुल्लाह ने अपनी कविता की प्रसिद्ध पंक्तियाँ कही हैं :
“मैंने अपनी खराब याददाश्त के बारे में वकी’ से शिकायत की, तो उन्होंने मुझे पापों को छोड़ने के लिए निर्देशित किया।
तथा उन्होंने कहा, यह जान लो कि ज्ञान एक प्रकाश है और अल्लाह का प्रकाश अवज्ञाकारी को नहीं दिया जाता।
तीसरा :
आपके लिए कुछ प्रशिक्षणिक और प्रशासनिक पुस्तकों की मदद लेने में कोई हर्ज नहीं है, जो संगठन और व्यवस्था के कौशल, निर्णय लेने की कला तथा चिंता एवं शर्म की भावनाओं को नियंत्रित करने और सामान्य रूप से लोगों के साथ व्यवहार करने की कला सिखाती हैं।
हम अल्लाह तआला से आपके लिए इस दुनिया और आख़िरत में तौफ़ीक़, कामयाबी और सफलता का प्रश्न करते हैं।