हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
पुरुष के लिए एक ऐसी महिला के साथ एकांत में होना जायज़ (स्वीकार्य) नहीं है, जो उसके लिए हलाल नहीं है। क्योंकि यह अनैतिक और बुरे कार्यों में पड़ने का कारण है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जो भी पुरुष किसी (गैर-महरम) औरत के साथ एकांत में (अकेला) होता है, तो उन दोनों के साथ तीसरा शैतान होता है।”
यदि वह शादी करने का पक्का इरादा रखने की स्थिति में, उसे देखने के लिए ऐसा करना चाहता है, और वह उसके साथ एकांत में (अकेला) नहीं होता है, इस प्रकार कि उसके साथ उसका पिता, या उसका भाई, या उसकी माँ आदि उपस्थिति हों, तथा वह उसके शरीर के उन्हीं भागों को देखे, जो अक्सर दिखाई देते हैं, जैसे चेहरा, बाल, हथेलियाँ और पैर, तो यह सुन्नत की अपेक्षा है, लेकिन इस शर्त के साथ कि फितना (प्रलोभन) का डर न हो।