हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ईद के दिन के बाद शव्वाल के महीने में छ: रोज़े़ रखना सुन्नत है,और जिसने एक बार या उस से अधिक बार उसका रोज़ा रख लिया तो उसके ऊपर निरंतर (अर्थात् प्रति वर्ष)उसका रोज़ा रखना अनिवार्य नहीं हो जाता है,और उसका रोज़ा न रखने वाला गुनाहगार नहीं होता है।
और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला (शक्ति का स्रोत) है। तथा अल्लाह तआला हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम,आप की संतान और साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।