हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
विद्वानों रहिमहुमुल्लाह ने उल्लेख किया है कि ज़कातुल-फ़ित्र का संबंध (रोज़ेदार के) शरीर से है, (उसके) धन से नहीं है। अतः उसको उस जगह पर निकाला जाएगा जहाँ रोज़ेदार व्यक्ति ईद की रात को मौजूद होता है।
इब्ने क़ुदामह रहिमहुल्लाह “अल-मुग़्नी” (4/134) में कहते हैं :
“जहाँ तक ज़कातुल-फ़ित्र का संबंध है, तो वह उसे उस देश में निकालेगा, जहाँ वह उसपर अनिवार्य हुई है, चाहे उसका धन उस देश में है या नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
जहाँ तक ज़कातुल-फ़ित्र को नक़दी के रूप में भुगतान करने का संबंध है, तो प्रश्न संख्या : (22888) के उत्तर में यह उल्लेख किया जा चुका है कि अनिवार्य यह है कि उसे ग़ल्ले के रूप में निकाला जाए और यह कि उसे नक़दी के रूप में निकालना पर्याप्त नहीं है।
इसलिए आपको उसे ग़ल्ले के रूप में निकालने की कोशिश करनी चाहिए। यदि गरीब व्यक्ति ग़ल्ला लेने से इनकार कर देता है और नक़दी मांगता है, तो फिर ऐसी स्थिति में, आवश्यकता या ज़रूरत के कारण, आपके लिए उसे नक़दी के रूप में निकालने में कोई आपत्ति की बात नहीं है।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।