हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
पहला :
फुक़हा के बहुमत के अनुसार, एक महिला को ग्यारह दिनों तक, बल्कि उससे अधिक, पंद्रह दिनों तक मासिक धर्म आ सकता है। जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि मासिक धर्म की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। लेकिन अगर किसी महिला को पूरे महीने या उसके अक्सर दिनों में रक्तस्राव होता है, तो वह मुस्तहाज़ा (गैर-मासिक रक्तस्राव वाली महिला) मानी जाएगी।
दूसरा :
मासिक धर्म से पवित्रता दो लक्षणों में से किसी एक से जानी जाती है :
पहला लक्षण : सफेद निर्वहन का उत्सर्जन है, यह एक सफेद पानी होता है जिसे महिलाएँ जानती हैं।
दूसरा लक्षण : (योनि का) पूरी तरह से सूख जाना, जिसका अर्थ यह है कि यदि उस जगह रुई या इसी तरह की कोई चीज़ रखी जाए, तो वह खून या पीलेपन के किसी भी निशान के बिना साफ बाहर निकले।
तीसरा :
मासिक धर्म से मिला हुआ पीले और भूरे रंग का स्राव, मासिक धर्म के हुक्म के अंतर्गत आता है। यदि वह निश्चित रूप से मासिक धर्म से पवित्र होने के बाद आता है, तो उसपर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा; क्योंकि उम्मे अतिय्यह रज़ियल्लाहु अन्हा की हदीस है कि उन्होंने कहा : “हम (मासिक धर्म से) पवित्र होने के बाद पीले और भूरे रंग के निर्वहन को कुछ भी नहीं मानते थे।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 307) ने रिवायत किया है और अलबानी ने सहीह अबू दाऊद में इसे सहीह कहा है।
इसके आधार पर हम कहते हैं :
1- पाँचवें दिन रक्तस्राव बंद होने से अभिप्राय यदि (योनि का) पूर्ण रूप से सूख जाना है, तो ऐसी स्थिति में आपको ग़ुस्ल करना चाहिए और नमाज़ और रोज़ा करना चाहिए, क्योंकि आप (मासिक धर्म से) शुद्ध हो गई हैं। यदि पूर्ण सूखापन नहीं प्राप्त हुआ है, तो मासिक धर्म जारी है।
2- यदि सातवें दिन से ग्यारहवें दिन के बीच में पूर्ण सूखापन प्राप्त नहीं हुआ है, तो यह सब मासिक धर्म है, तथा ग्यारहवें दिन होने वाला पीले रंग का स्राव भी मासिक धर्म माना जाएगा, जैसा कि ऊपर बताया गया है; क्योंकि यह मासिक धर्म से पवित्रता के बाद नहीं आया है। बल्कि यह उससे मिला हुआ आया है जो मासिक धर्म के हुक्म के अंतर्गत आता है।
लेकिन अगर इन दिनों के दौरान, कुछ घंटों के लिए भी पूरी तरह से सूखापन प्राप्त हो जाता है, तो यह सूखापन मासिक धर्म से पवित्रता समझा जाएगा। इसलिए महिला उसके लिए ग़ुस्ल करेगी और उसके दौरान की नमाज़ें पढ़ेगी।
3- ग्यारहवें दिन के रोज़े का हुक्म उसपर निर्भर करता है जो ऊपर वर्णित किया गया है। यदि यह पीलापन मासिक धर्म से पवित्रता के लक्षण : सफेद स्राव या सूखापन के बाद आया है, तो वह मासिक धर्म नहीं है और उस दिन का रोज़ा सही है। और यदि उससे पहले मासिक धर्म से पवित्रता की कोई नीशानी प्रकट नहीं हुई थी, तो वह मासिक धर्म है, और उस दिन का रोज़ा सही नहीं है, और उसकी क़ज़ा करना अनिवार्य है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।