सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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तशह्हुद और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजने के शब्द

प्रश्न

मैं नमाज़ में तशह्हुद और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजने के शब्द सीखना चाहता हूँ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें नमाज़ के अहकाम और अपनी नमाज़ का तरीक़ा सीखने के लिए आग्रह किया है, ताकि इस विषय में हम आपकी पैरवी कर सकें। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाय :

 صَلُّوا كَمَا رَأَيْتُمُونِي أُصَلِّي

“तुम उसी तरह नमाज़ पढ़ो जिस तरह तुमने मुझे नमाज़ पढ़ते देखा है।” (बुखारी हदीस संख्या : 631)

इस वास्ते हमें नमाज़ सीखने पर ध्यान देना चाहिए।

तशह्हुद और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजने के वर्णित शब्द बहुल और विविध प्रकार के हैं। एक मुसल्मान के लिए सबसे उत्तम यह है कि वह तशह्हुद और दुरूद के वर्णित सभी शब्दों को अपनाए। चुनाँचे एक बार इस शब्द को पढ़े, फिर दूसरी बार दूसरे शब्दों को पढ़े, और इसी तरह करे, ताकि सुन्नत के सभी तरीकों पर अमल हो जाए। उन में से किसी एक ही तरीक़े (शब्द) पर निर्भर न रहे। यदि उसके लिए ऐसा करना कठिन हो, तो उनमें से जितने पर सक्षम हो उसपर निर्भर करे, और इन शा अल्लाह उस पर कोई गुनाह नहीं है।

नमाज़ में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित तशह्हुद और दरूद भेजने के कुछ शब्द निम्नलिखित हैं :

इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु का तशह्हुद :

 التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ السَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ

उच्चारणः ''अत्तहिय्यातो लिल्लाहि, वस्सला-वातो, वत्तैइबातो, अस्सलामो अलैका अय्योहन्नबिय्यो व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू, अस्सलामो अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन, अश्हदो अन् ला इलाहा इल्लल्लाहु, व अश्हदो अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह”

अर्थात : सभी प्रकार की प्रशंसाएँ, नमाज़ें और पवित्र चीज़ें केवल अल्लाह के लिए हैं, ऐ नबी! आप पर सलाम (शांति), अल्लाह की रहमत (दया) और उसकी बर्कतें अवतरित हों, शांति हो हम पर और अल्लाह के नेक (सदाचारी) बन्दों पर, मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि निःसंदेह मुहम्मद उसके बन्दे और रसूल (संदेष्टा) हैं।)

इसे बुखारी (हदीख संख्या : 6265) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 402) ने रिवायत किया है।

इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा का तशह्हुद :

 التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ السَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ 

उच्चारणः “अत्तहिय्यातो लिल्लाहि, वस्सला-वातो, वत्तैइबातो, अस्सलामो अलैका अय्योहन्नबिय्यो व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू, अस्सलामो अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन, अश्हदो अन् ला इलाहा इल्लल्लाहु, वह्दहु ला शरीका लहु, व अश्हदो अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह”

अर्थात : सभी प्रकार की प्रशंसाएँ, नमाज़ें और पवित्र चीज़ें केवल अल्लाह के लिए हैं, ऐ नबी! आप पर सलाम, अल्लाह की रहमत और उसकी बर्कतें अवतरित हों, सलाम हो हम पर और अल्लाह के नेक (सदाचारी) बन्दों पर, मैं गवाही देता हूँ के अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है उसका कोई साझी नही, और मैं गवाही देता हूँ कि बेशक मुहम्मद उसके बन्दे और रसूल (संदेष्टा) हैं।

इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 971) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी ने इसे सहीह क़रार दिया है।

उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का तशह्हुद, जिसे आप ने लोगों को सिखलाने के लिए मिंबर पर से बयान किया :

 التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ ، الزَّاكِيَاتُ لِلَّهِ ، الطَّيِّبَاتُ لِلَّهِ ، الصَّلَوَاتُ لِلَّهِ ، السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ ، السَّلَامُ عَلَيْنَاوَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ ، أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ 

उच्चारणः “अत्तहिय्यातो लिल्लाहि, अज़्ज़ाकियातु लिल्लाहि, अत्तैइबातो लिल्लाहि, अस्सला-वातो लिल्लाहि, अस्सलामो अलैका अय्योहन्नबिय्यो व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू, अस्सलामो अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन, अश्हदो अन् ला इलाहा इल्लल्लाहु, व अश्हदो अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह”

अर्थात : सभी प्रकार की प्रशंसाएँ, पवित्र एवं उत्तम चीज़ें और नमाज़ें केवल अल्लाह के लिए हैं, ऐ नबी! आप पर सलाम, अल्लाह की रहमत और उसकी बर्कतें अवतरित हों, सलाम हो हम पर और अल्लाह के नेक (सदाचारी) बन्दों पर, मैं गवाही देता हूँ के अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि बेशक मुहम्मद उसके बन्दे और रसूल (संदेष्टा) हैं।

इसे मालिक (हदीस संख्या : 204) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी ने इसे सहीह कहा है।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजने के कुछ शब्द यह हैं :

 اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ 

उच्चारणः ''अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मद, व अला आले मुहम्मद, कमा सल्लैता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुन मजीद, अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मद, व अला आले मुहम्मद, कमा बारक्ता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुन मजीद''

अर्थात : ऐ अल्लाह! मुहम्मद और मुहम्मद की संतान पर रहमत नाज़िल (अवतरित) फरमा, जैसे तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर रहमत नाज़िल की। बेशक तू प्रशंसा के योग्य और महिमामवान है। ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर बर्कत नाज़िल फरमा, जैसे तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर बर्कत नाज़िल फरमाई। बेशक तू प्रशंसा के योग्य और बुज़ुर्गीवाला (महिमावान) है।

इसे बुखारी (हदीस संख्या : 3370) ने रिवायत किया है।

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ وَبَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ فِي الْعَالَمِينَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ

उच्चारणः ''अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मद, व अला आले मुहम्मद, कमा सल्लैता अला आले इब्राहीम, व बारिक अला मुहम्मद, व अला आले मुहम्मद, कमा बारक्ता अला आले इब्राहीमा फिल आलमीन, इन्नका हमीदुन मजीद''

अर्थात : ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले-मुहम्मद (मुहम्मद की संतान) पर रहमत नाज़िल फरमा, जैसे तूने आले इब्राहीम पर रहमत नाज़िल फरमाई। और ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले-मुहम्मद पर बर्कत नाज़िल फरमा, जैसे तूने आले इब्राहीम पर सर्वसंसार में बर्कत नाज़िल फरमाई। बेशक तू प्रशंसा के योग्य और बुज़ुर्गीवाला है।'' इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 405) ने रिवायत किया है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर