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हम महिलाओं का एक समूह हैं। हम उस महिला के वुज़ू के हुक्म के बारे में पूछना चाहते हैं जो अपनी पलकों पर मस्कारा लगाती है। यह पलकों के लिए पेंट की तरह होता है जो सजावट के लिए उपयोग किया जाता है। यह पलकों को एक सुंदर आकार और कभी-कभी घनत्व देता है। इस मस्कारा (काजल) में से कुछ पानी-पारगम्य होता है, और कुछ पानी के लिए अभेद्य होता है, जिसे अंग्रेजी में जलरोधक (वाटरप्रूफ) कहा जाता है। हम जानते हैं कि वुज़ू करते समय पलकों तक पानी अवश्य पहुँचना चाहिए, तो इस स्थिति में वुज़ू करने का क्या हुक्म हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
वुज़ू और ग़ुस्ल के दौरान पलकों तक पानी पहुँचाना ज़रूरी है, क्योंकि वे उस चेहरे की सीमा के भीतर हैं जिसे धोने का आदेश दिया गया है। यही हुक्म भौं (बरौनी), गाल, मूँछ और दाढ़ी के बालों का भी है।
उन्होंने “अर-रौज़ुल मुरबे’” (पृष्ठ 7) में कहा : “वह चेहरे के उन हल्के बालों को धोएगा, जो त्वचा को प्रकट करते हैं, जैसे कि पलकों, मूँछों और निचले होंठ के नीचे के बाल; क्योंकि वे चेहरे का हिस्सा हैं।” संक्षेप और संशोधन के साथ उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा देखें : “अल-मजमू'” (1/376), "मवाहिबुल-जलील" (1/185)।
उपर्युक्त के आधार पर : यदि वह पेंट (मस्कारा) बालों तक पानी को पहुँचने से नहीं रोकता है, तो वुज़ू सही (मान्य) है। और यदि वह पानी को बालों तक पहुँचने से रोकता है, तो उसे वुज़ू या ग़ुस्ल करने से पहले हटाना ज़रूरी है। क्योंकि वुज़ू और ग़ुस्ल के सही होने की शर्तों में से एक यह है कि धोए जाने वाले हिस्से (अंग) तक पानी को पहुँचने से रोकने वाली चीज़ को हटा दिया जाए।
अल्लामा नववी ने “अल-मजमू'” (1/492) में कहा : “यदि उसके कुछ अंगों पर मोम, या आटा, या मेंहदी और इसी के समान कुछ है। फिर वह शरीर के (धोए जाने वाले) अंग के किसी हिस्से तक पानी को पहुँचने से रोक देता है, तो उसकी शुद्धता (वुज़ू या ग़ुस्ल) सही (मान्य) नहीं है, चाहे वह हिस्सा कम हो या अधिक।”
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।