गुरुवार 18 रमज़ान 1445 - 28 मार्च 2024
हिन्दी

किसी ऐसे व्यक्ति को सामान बेचना जो क्रेडिट कार्ड से भुगतान करता है, साथ ही बैंक को कमीशन भुगतान करता है जिसे सामान की क़ीमत में जोड़ दिया जाता है

102744

प्रकाशन की तिथि : 14-08-2021

दृश्य : 1749

प्रश्न

मैं एक कंपनी में अकाउंटेंट के रूप में काम करता हूँ जिसके कई शोरूम हैं, जिसमें बिक्री प्रक्रिया में सभी बैंकों के वीज़ा और मास्टर कार्ड उपयोग किए जाते हैं। प्रत्येक बिक्री प्रक्रिया पर बैंक हमसे लगभग 2% से 3% तक कमीशन लेता है, जिसे हम बैंक के खर्च के रूप में दर्ज करते हैं और उसे खरीदे जाने वाले सामान की क़ीमत में जोड़कर, हम उसे ग्राहक से वसूल करते हैं। प्रश्न यह है कि : क्या इन उपकरणों का उपयोग करना शरई दृष्टिकोण से अनुमेय हैॽ अगर यह अनुमेय नहीं है, तो क्या इसके उपयोगकर्ता को यह माना जाएगा कि वह सूद को सुविधा प्रदान करता हैॽ क्या हम बैंक खर्च के रूप में जो दर्ज करते हैं, वह वास्तव में सूद को लिखना हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

पहला :

क्रेडिट कार्ड जारी करने और उसका उपयोग करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, यदि वह शरई निषेधों से मुक्त है, जैसे कि देर से भुगतान करने की स्थिति में ब्याज वसूलना, या रक़म की निकासी पर प्रतिशत लेना; क्योंकि यह निषिद्ध रिबा (ब्याज) में शामिल है।

कुछ इस्लामिक बैंकों ने ऐसे क्रेडिट कार्ड जारी किए हैं जो इन निषेधों से मुक्त हैं।

दूसरा :

विक्रेता के लिए इन कार्डों का उपयोग करके खरीदार से सामान की क़ीमत वसूल करने में कोई ह़र्ज की बात नहीं है, चाहे वह कार्ड शरीयत के अनुसार स्वीकार्य हो या निषिद्ध हो। जहाँ तक निषेधों से मुक्त धर्मसंगत कार्ड का संबंध है, तो उसका मामला स्पष्ट है। रही बात निषिद्ध कार्ड की, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें निषिद्ध चीज़ का पाप बैंक और ग्राहक पर है, और विक्रेता को इससे कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि उसके लिए किसी ऐसे व्यक्ति को बेचना जायज़ है जिसने ब्याज के साथ उधार (ऋण) लिया है, और सूद का पाप उस पर है, जो उसका करने वाला है।

तीसरा :

विक्रेता के लिए बैंक को कमीशन का भुगतान करना जायज़ है, लेकिन इस शर्त के साथ कि वह उसे खरीदार से चार्ज न करे। बल्कि वह उसे सामान उसी तरह बेचे, जैसे वह किसी ऐसे व्यक्ति को बेचता है जो नकदी के साथ खरीदता है।

क्रेडिट कार्ड के बारे में इस्लामिक फिक़्ह काउंसिल के फैसले में कहा गया है : “जारीकर्ता बैंक के लिए व्यापारी से ग्राहक की खरीद पर कमीशन लेना जायज़ है, बशर्ते कि व्यापारी कार्ड के साथ उसी क़ीमत पर बेचे, जिस क़ीमत पर वह नक़दी के साथ बेचता है।” उद्धरण समाप्त हुआ। इस निर्णय का पूरा पाठ प्रश्न संख्या : (97530 ) के उत्तर में देखें।

उत्तर का सारांश यह है कि : आपके लिए सभी प्रकार के क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बेचे गए सामान की क़ीमत वसूल करना जायज़ है, तथा इस लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए बैंक को कमीशन का भुगतान करना भी जायज़ है, बशर्ते कि कमीशन की राशि खरीदार से वसूल न की जाए।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है। 

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर