हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हज्ज या उम्रा का एहराम बाँधे हुए व्यक्ति के लिए संभोग करना जायज़ नहीं है जब तक कि वह एहराम से बाहर न निकल जाए। यदि वह सई पूरी करने से पहले उम्रा के दौरान संभोग करता है, तो उम्रा ख़राब (भ्रष्ट) हो जाता है, लेकिन उसे इसे जारी रखना और पूरा करना होगा। फिर जहाँ से उसने पहली बार एहराम बाँधा था, वहीं से एहराम बाँध कर उसकी क़ज़ा करेगा। इसके साथ ही आप में से प्रत्येक की ओर से एक बकरी ज़बह करके उसे मक्का के गरीबों में वितरित किया जाएगा।
परंतु सई के बाद और सिर मुंडवाने या बाल काटने से पहले संभोग करने से उम्रा खराब (अमान्य) नहीं होता है, लेकिन इसमें वैकल्पिक फ़िद्या (छुड़ौती) अनिवार्य है।
आपके तन्ईम जाने का कोई फ़ायदा नहीं है, क्योंकि आप अभी भी उम्रा के एहराम की स्थिति में हैं - भले ही वह खराब हो गया हो - इसलिए जब तक आप पहले एहराम से फारिग़ नहीं हो जाते, तब तक उसपर दूसरा एहराम बाँधना सही नहीं है।
इसके आधार पर, आप दोनों ने उम्रा के जो कार्य अंजाम दिए हैं, वह ख़राब होने वाले उम्रे की पूर्ति है। आप दोनों के लिए उस उम्रे की क़ज़ा करना (भी) अनिवार्य है और आप उसके लिए उसी मीक़ात से एहराम बाँधेंगे, जहाँ से आपने पहली बार एहराम बाँधा था, साथ ही आप दोनों में से प्रत्येक को एक बकरी ज़बह करनी होगी।
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने कहा : “यदि आपने अपनी पत्नी के साथ संभोग किया है, तो आपका उम्रा ख़राब (अमान्य) हो गया, लेकिन आपको इसे पूरा करना होगा, फिर उसी स्थान से फिर से (एहराम बाँधकर) जहाँ आपने पहली बार एहराम बाँधा था इसकी क़ज़ा करनी होगी। तथा आप पर एक भेड़ या बकरी की क़ुर्बानी भी अनिवार्य है, जो मक्का में गरीबों के लिए ज़बह किया जाएगा। और इसके लिए ऊँट का सातवाँ हिस्सा या गाय का सातवाँ हिस्सा भी पर्याप्त होगा।” “फ़तावा इस्लामिय्या” से उद्धरण समाप्त हुआ।
कुछ विद्वानों का मानना है कि उम्रा के दौरान संभोग करने वाले व्यक्ति पर वैकल्पिक फिद्या अनिवार्य है : एक दम (बलि) देना, या तीन दिनों का रोज़ा रखना, या छह ग़रीबों को खाना खिलाना, चाहे उसने सई से पहले संभोग किया हो या उसके बाद, जैसा कि “शर्ह मुंतहा अल-इरादात” (1/556) में कहा गया है।
शैख़ इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा : “वह उम्रा जिसमें संभोग हुआ है वह अमान्य उम्रा है और आपको एक बकरी की बलि देनी होगी, जिसे मक्का में ज़बह किया जाएगा और गरीबों को वितरित किया जाएगा, या छह गरीबों को खाना खिलाना होगा प्रत्येक ग़रीब व्यक्ति के लिए आधा सा' भोजन, या तीन दिनों के रोज़े रखने होंगे। तथा जो उम्रा खराब हो गया है उसके बदले (क़ज़ा के तौर पर) आपको एक दूसरा उम्रा भी करना होगा।” “अल-लिक़ा अश-शहरी” (9/54) से उद्धरण समाप्त हुआ।
सारांश यह कि आपको तीन चीज़ें करनी होंगी :
1. सर्वशक्तिमान अल्लाह से तौबा करना, निषिद्ध कार्य करने के लिए और उस अनुष्ठान को भंग करने के कारणवश जिसे पूरा करने का अल्लाह ने आदेश दिया है।
2. अमान्य (ख़राब) हो जाने वाले उम्रा की क़ज़ा (भरपाई) करता हुए दोबारा उम्रा करना, तथा आपको उसी मीक़ात से एहराम बाँधना होगा जहाँ से ख़राब हो जाने वाले उम्रा का एहराम बाँधा था।
3. वैकल्पिक फ़िद्या (छुड़ौती) देना : आप दोनों में से प्रत्येक जो भी विकल्प चाहे चुन सकता है : या तो एक बकरी ज़बह करना, या ती तीन दिनों के रोज़े रखना, या मक्का के गरीबों में से छह गरीबों को खाना खिलाना। यदि आप दोनों में से प्रत्येक एक बकरी ज़बह करे, तो यह बेहतर है और अधिक सावधानी का पक्ष है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।