शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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हानिकारक पशुओं को पैदा किये जाने की हिक्मत (तत्वदर्शिता)

प्रश्न

अल्लाह तआला ने साँप, बिच्छू, और चूहें जैसे इत्यादि जानवरों को क्यों पैदा किया है जबकि हम उन्हें खाते नहीं हैं?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

इस प्रश्न का उत्तर दो पक्षों से है, एक सामान्य और दूसरा विशिष्ट:

इस का सामान्य उत्तर यह है कि : मुसलमान यह विश्वास रखता है कि अल्लाह तआला सर्वज्ञानी और सर्वतत्वदर्शी है, किसी बेकार चीज़ को पैदा नहीं करता और उसके सभी कार्य हिक्मत (बुद्धि और तत्वदर्शिता) पर आधारित होते हैं, अगर उसके किसी कार्य की हिक्मत मोमिन से छिपी रह जाये तो वह इस सिद्धांत का सहारा ले और अपने पालनहार के बारे में बुरा गुमान न रखे।

विशिष्ट उत्तर यह है कि : इस प्रकार के जीवों को पैदा करने के पीछे हिक्मत अल्लाह तआला की अपनी मख्लूक़ात को पैदा करने और उनका संरक्षण करने में उसकी कारीगरी की मज़बूती और प्रवीणता का प्रदर्शन होता है, चुनाँचि इन प्राणियों की बाहुल्यता के बावजूद अल्लाह तआला उन सभी को रोज़ी देता है। इसी तरह अल्लाह तआला इनके द्वारा परीक्षण करता है और इन से पीड़ित होने वाले को अज्र व सवाब देता है, और जो उन्हें क़त्ल करता है उसकी बहादुरी ज़ाहिर होती है, इसी तरह अल्लाह तआला उन्हें पैदा करके अपने बन्दों को उनके ईमान और यक़ीन के पक्ष से भी आज़माता है, चुनाँचि जो मोमिन होता है वह प्रसन्नता का प्रदर्शन करता है और स्वीकार करता है, और जो शक्की होता है वह कहता है कि अल्लाह तआला का इस प्राणी को पैदा करने का क्या उद्देश्य है! इसी तरह इंसान की कमज़ोरी और विवशता का प्रदर्शन इस तौर पर भी होता है कि इंसान अपने से कहीं अधिक कमतर सृष्टि के द्वारा बीमारी और कष्ट से पीड़ित होता है, कुछ विद्वानों से मक्खी के पैदा किये जाने की हिक्मत के बारे में पूछा गया तो उन्हों ने उत्तर दिया कि : ताकि उसके द्वारा अल्लाह तआला जाबिरों की नाक को अपमानित करे। हानिकारक चीज़ों के अस्तित्व से लाभदायक चीज़ों के पैदा किये जाने के महान उपकार का भी प्रदर्शन होता है, जैसाकि कहा गया है : किसी चीज़ की हक़ीक़त उसके विपरीत चीज़ों के द्वारा ही स्पष्ट हो कर सामने आती है। तथा चिकित्सा विज्ञान और प्रशिक्षण के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि अनेक लाभदायक दवायें, साँपों और उनके समान जानवरों के ज़हर (विष) से निकाली जाती हैं, अत: कितनी पवित्र है वह अस्तित्व जिसने उन चीज़ों में जो देखने में हानिकारक हैं, लाभदायक तत्व बनाये हैं। फिर यह भी है कि इन हानिकारक जानवरों में बहुत से, दूसरे लाभदायक जानवरों का खूराक (खाना) हैं जो प्रकृति और पर्यावरण में मौजूद संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है जिन्हें अल्लाह तआला ने सुदृढ़ता के साथ पैदा किया है।

तथा मुसलमान पर यह आस्था और विश्वास रखना अनिवार्य है कि अल्लाह तआला के सभी कार्य ख़ैर व भलाई वाले और उपयोगी हैं, और उसकी पैदा की हुई चीज़ों में एक मात्र बुराई नहीं है, बल्कि उसमें किसी दूसरे पहलू से खैर व भलाई अवश्य ही मौजूद है, अगरचि हम में से कुछ लोगों पर यह रहस्य बन जाये, जैसेकि इब्लीस का गठन जो कि बुराई का जड़ (सरदार) है। उसकी उत्पत्ति में भी हिकमतें और हित हैं, जिन में से एक यह है कि अल्लाह तआला इब्लीस के द्वारा लोगों को आज़माता है ताकि आज्ञा पालने करने वालों और अवज्ञा करने वालों, तथा संघर्ष करने वालों और कोताही करने वालों के बीच अंतर स्पष्ट हो जाये, और जिसके फलस्वरूप स्वर्गवासी, नरकवासियों से अलग-थलग और भिन्न हो सकें। अल्लाह सुब्हानहु व तआला से हम दुआ करते हैं कि हमें ईमान की शक्ति और धर्म की सझबूझ प्रदान करे। और हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अल्लाह तआला की दया और शांति अवतरित हो।

स्रोत: शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद