शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
हिन्दी

पालतू जानवर रखने की शर्तें

प्रश्न

मेरी उम्र 10 साल है और मैं एक पालतू जानवर रखना चाहता हूँ। क्या इसके लिए कोई शर्तें या नियम हैंॽ अगर कुछ है तो कृपया बताएँ।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

आप जैसे हमारे छोटे बच्चों से, जो अल्लाह और उसके रसूल से प्यार करते हैं, तथा बुद्धि और होशियारी से प्रतिष्ठित हैं, प्रश्न प्राप्त करना हमारे लिए खुशी की बात है।  यह प्रश्न महत्वपूर्ण और उपयोगी है और संक्षिप्त और शालीन तरीक़े से पूछा गया है। हम सर्वशक्तिमान अल्लाह से आपकी रक्षा करने और आपकी देखभाल करने और आपकी अच्छी परवरिश में योगदान देने वाले हर व्यक्ति को अच्छा बदला देने के लिए प्रश्न करते हैं।

दूसरा :

इस्लाम में पालतू जानवर रखना और पालना जायज़ है, इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है।

बुखारी (हदीस संख्या : 6203) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2150) ने अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम व्यवहार में लोगों में सबसे अच्छे थे। मेरा एक भाई था जिसका नाम अबू उमैर था। उन्होंने (कथावाचक) कहा : मुझे लगता है कि उन्होंने कहा : उसका दूध छुड़ाया जा चुका था। जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आते और उसे देखते, तो आप कहते : “ऐ अबू उमैर, नुग़ैर (बुलबुल) का क्या हुआॽ” 'नुग़र' लाल चोंच वाला एक पक्षी था जिससे वह (बच्चा) खेलता था।

हाफ़िज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने कहा :

“इससे यह इंगित होता है कि छोटे बच्चे के लिए पक्षियों के साथ खेलना जायज़ है, तथा माता-पिता का अपने छोटे बच्चे को उस चीज़ के साथ खेलने की अनुमति देना जायज है, जिसके साथ खेलना अनुमेय है और छोटे बच्चे के मनोरंजन के लिए अनुमेय चीज़ों पर पैसा खर्च करना जायज़ है, पक्षियों को पिंजरे वग़ैरह में रखना और पक्षियों के पंखों को काट देना जायज़ है, क्योंकि अबू उमैर के पक्षी की हालत इन दोनों में से किसी एक से खाली नहीं है। वस्तुस्थिति जो भी हो, दूसरा उसी के हुक्म में शामिल होगा।” उद्धरण समाप्त हुआ। “फत्हुल-बारी” (10/584)

जहाँ तक जानवरों को पालने की शर्तों और नियमों का संबंध है, तो उनमें निम्नलिखित शामिल हैं :

1. जो जानवर रखा जाए वह कुत्ता नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस्लाम ने कुत्तों को पालने से मना किया है, सिवाय रखवाली करने वाले कुत्ते और शिकार करने वाले कुत्ते के। प्रश्न संख्या : (69777) के उत्तर में इसका उल्लेख किया जा चुका है। तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “फ़रिश्ते उस घर में प्रवेश नहीं करते जिसमें कुत्ता होता है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 3225) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2106) ने रिवायत किया है। क्या मुसलमान इस बात को पसंद करेगा कि एक जानवर रखने के कारण उसके घर में रहमत के फ़रिश्ते उसके साथ न होंॽ

2. इस मामले में इतना आगे न बढ़ना कि वह निंदनीय अपव्यय की हद तक पहुँच जाए। हमने कुछ ऐसे लोगों को देखा है जो एक विशेष जानवर को खरीदने में प्रतिस्पर्धा करने, उसकी देखभाल करने और उसे सेवाएँ प्रदान करने के लिए हज़ारों या लाखों का भुगतान करते हैं। बल्कि उनमें से कुछ तो अपने धन का कुछ हिस्सा भी उसके लिए निर्धारित कर देते हैं। कुछ देशों में, विभिन्न प्रकार के जानवरों के लिए त्यौहार और प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं, और उनपर भारी मात्रा में धन खर्च किया जाता है। यह सब मूर्खता और बुद्धि की कमी है।

3. जानवर के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। यदि कोई मुसलमान किसी जानवर को रखता है, तो उसे भोजन और पेय प्रदान करके उसके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। उसके साथ छेड़छाड़ करके, या उसे लक्ष्य (निशाना साधने) के रूप में इस्तेमाल करके, या जानवरों को आपस में लड़ाकर, या उसे गर्मी या ठंड में रखकर उसे कोई नुकसान या कष्ट नहीं पहुँचाना चाहिए। अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "एक आदमी सड़क पर चल रहा था कि उसे बहुत प्यास लगी। उसे एक कुआँ मिला तो वह उसमें उतर गया और उसने पानी पिया, फिर वह बाहर निकल आया। वहाँ उसने एक कुत्ते को देखा जो हांफ रहा था और प्यास के मारे कीचड़ चाट रहा था। उस आदमी ने कहा : इस कुत्ते को वैसे ही प्यास लग रही है जो मैंने महसूस की थी। इसलिए वह वापस कुएँ में उतरा और अपने मोज़े में पानी भरा, फिर कुत्ते को पानी पिलाया। अल्लाह ने (उसके इस कार्य) को क़बूल किया और उसे क्षमा कर दिया। सहाबा ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल!, क्या हमारे लिए इन जानवरों में भी पुण्य हैॽ आपने फरमाया : “हर जीवित प्राणी में पुण्य है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 2466) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 14422) ने रिवायत किया है।

अतः आप देखें कि मोमिन को जानवरों की देखभाल करने के लिए कैसे प्रतिफल मिलेगा; बल्कि वह एक जानवर के साथ अपनी दयालुता के कारण जन्नत में प्रवेश कर सकता है, जैसा कि इस हदीस में वर्णित आदमी के साथ हुआ। और सर्वशक्तिमान अल्लाह भलाई करने वालों से प्यार करता है।

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें एक ऐसी महिला के बारे में बताया है जो एक बिल्ली की उपेक्षा करने के कारण नरक में प्रवेश कर गई, जिसे उसने बंधक बना लिया था, तो वह भूख से मर गई; न तो उसने उसे खिलाया और न ही उसे आज़ाद किया और जाने दिया कि वह धरती के कीड़े-मकोड़ों में से कुछ खा सके।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर