रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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रोज़ेदार रोज़ा कब इफतार करे ॽ

प्रश्न

क्या मेरे लिए सूरज डूबने के बाद इफ्तार करना सर्वश्रेष्ठ है या मैं प्रतीक्षा करूँ यहाँ तक कि आकाश से प्रकाश गायब हो जाए ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सुन्नत का तरीक़ा यह है कि रोज़ा इफतार करने में जल्दी किया जाय और वह इस प्रकार कि सूरज डूबन के तुरंत पश्चात रोज़ा इफतार किया जाये, बल्कि उसे सितारों के प्रकट होने तक विलंब करना यहूदियो का कृत्य है और इस पर राफिज़ा (शीया) ने उनका अनुसरण किया है। अतः जानबूझकर इतना विलंब करना उचित नहीं है कि रोज़ेदार अति शाम कर दे, और न ही उसे अज़ान के अंत तक ही विलंब करे, क्योंकि ये सब के सब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के तरीक़ से प्रमाणित नहीं हैं।

सहल बिन सअद रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “लोग निरंतर भलाई में रहेंगे जब तक रोज़ा इफतार करने में जल्दी करते रहेंगे।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1856) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1098) ने रिवायत किया है।

नववी ने कहा :

इस हदीस में सूरज डूबने की प्रामाणिकता के पश्चात रोज़ा इफतार में जल्दी करने पर बल दिया गया है, और उसका अर्थ यह है कि : उम्मत का मामला संगठित और व्यवस्थित रहेगा और वे भलाई के साथ रहेंगे जब तक वे इस सुन्नत का पालन करते रहेंगे। और जब वे इसे विलंब कर देंगे तो यह उनके भ्रष्टाचार (खराबी) में पड़ने का संकेत होगा। (शरह सहीह मुस्लिमः 7/208).

इब्ने अबी औफा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एक यात्रा में था तो आप ने रोज़ा रखा यहाँ तक कि शाम हो गयी तो आप ने एक आदमी से फरमाया : उतरो और मेरे लिए इफ्तारी तैयार करो। उसने कहा : अगर आप प्रतीक्षा करते यहाँ तक की शाम हो जाती। आप ने फरमाया : उतरो और मेरे लिए इफ्तारी का खाना तैयार करो, जब तुम देख लो की रात यहाँ से आ गई तो रोज़ादार के रोज़ा इफ्तार करने का समय हो गया।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 857) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1101) ने रिवायत किया है।

अबू अतिय्या से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : मैं और मसरूक़, आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा के पास आए तो हम ने कहा : ऐ विश्वासियों की माता, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथियों में से दो व्यक्ति ऐसे हैं कि उनमें से एक रोज़ा इफ्तार करने में जल्दी करता और नमाज़ पढ़ने में भी शीघ्रता करता है, और दूसरा व्यक्ति वह है जो इफ्तार करने में देर करता है और नमाज़ को विलंब करता है, उन्हों ने कहा : उन दोनों में से कौन है जो इफ्तार करने और नमाज़ पढ़ने में जल्दी करता है ॽ रावी कहते हैं : हम ने कहा : अब्दुल्लाह -अर्थात् इब्ने मसऊद- उन्हों ने कहा : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इसी तरह किया करते थे।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 1099) ने रिवायत किया है।

हाफिज़ इब्ने हजर कहते हैं :

चेतावनी :

निंदात्मक बिदअतों (नवाचारों) में इस ज़माने में अविष्कारित रमज़ान के महीने में फज्र से लगभग एक तिहाई घंटा पूर्व दूसरा अज़ान देना और रोशनियों (बत्तियों) को बुझा देना है, जो रोज़ा रखने का इरादा रखने वाले पर खाने और पीने को वर्जित घोषित करने की निशानी बना दी गई है, जिसके बारे में इसे अविष्कार करने वालों का यह भ्रम है कि यह इबादत के अंदर एहतियात (सावधानी) के लिए है और इसे एक दो ही लोग जानत हैं। यह तथ्य उन्हें इस चीज़ की ओर भी घसीट कर लाई कि वे सूरज डूबने के एक समय बाद ही अज़ान देते हैं . . . इस तरह उन्हों ने रोज़ा इफ्तार करने को विलंब कर दिया और सेहरी करने में शीघ्रता से काम लिया और सुन्नत का विरोध किया। इसी कारण उनके अंदर भलाई का अभाव हो गया और बुराई की बाहुल्यता होगई। और अल्लाह तआला ही सहायक है।

“फत्हुल बारी” (4/199)

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर