रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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ज़कातुल-फ़ित्र किन लोगों को दिया जाएगा

प्रश्न

क्या ज़कातुल-फ़ित्र को गरीबों और मिसकीनों (ज़रूरतमंदों) के अलावा क़ुरआन में वर्णित (ज़कात के हक़दार) आठ श्रेणियों के अवशेष लोगों को दिया जा सकता है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

इस मुद्दे में विद्वानों के बीच मतभेद पाया जाता है। चुनाँचे शाफेइय्या इस बात की ओर गए हैं कि ज़कातुल-फ़ित्र उन्हीं लोगों को दिया जाएगा जिन्हें धन की ज़कात दी जाती है।

तथा देखें “असनल मतालिब” (1/402).

जबकि मालिकिय्या ने ज़कातुल-फ़ित्र को ग़रीबों और मिसकीनों के लिए विशिष्ट किया है। इसी मत को शैखुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्या और इब्नुल-क़ैयिम ने भी अपनाया है। जबकि समकालीन विद्वानों में से शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने भी इसी मत को अपनाया है।

“हाशियतुद-दसूक़ी” (1/506) में आया है: “ज़कातुल-फ़ित्र किसी गैर-हाशिमी (यानी बनू हाशिम के वंशज को छोड़कर) किसी ग़रीब, आज़ाद मुसलमान को दिया जाएगा.. लेकिन यह ज़कात उसे नहीं दिया जाएगा जो उसे इकट्ठा करने में काम करनेवाला है, या जिसकी दिलजोई करना मक़सद है, या गुलाम आजाद करने में, या क़र्जदार, या मुजाहिद, या ऐसा प्रदेसी जो उसके द्वारा अपने देश (घर) पहुंचना चाहता है, बल्कि उसे विशेष रूप से गरीबी के आधार पर दिया जाएगा..” उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा शैखुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “यह राय दलील (सबूत) में सबसे मजबूत है।”

“मजमूओ फतावा शैखुल-इस्लाम” (25/71) से उद्धरण समाप्त हुआ।

इब्नुल-क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने ज़ादुल-मआद (2/22) में फरमाया है : “पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह तरीक़ा था कि इस दान (सद्क़ा) को मिसकीनों (गरीबों) के लिए विशिष्ट करते थे, तथा आप इसे (ज़कात के हक़दार) आठ श्रेणियों के लोगों में आवंटित नहीं करते थे, और न तो आप ने ऐसा करने का आदेश दिया है, और न ही आपके साथियों और उनके बाद आने वाले लोगों में से किसी ने ऐसा किया है। बल्कि हमारे निकट दो मतों में से एक यह है किः इसे विशिष्ट रूप से गरीबों ही के लिए निकालना जायज़ है। और यह कथन (राय) उस दृष्टिकोण से अधिक मजबूत है कि उसे आठों श्रेणियों के लोगों में विभाजित करना अनिवार्य है।”

तथा शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने फरमाया : इसके खर्च किए जाने के अधिकृत (हक़दार) लोग गरीब एवं मिसकीन लोग हैं। क्योंकि इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से प्रमाणित है कि उन्हों ने कहा: “अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ज़कातुल फित्र को रोज़ेदार की बेकार और अश्लील बातों से पवित्रता (शुद्धि) के रूप में, और मिसकीनों (गरीबों) को खिलाने के लिए अनिवार्य किया है...”

“मजमूउल-फतावा” (14/202) से उद्धरण समाप्त हुआ।

और अल्लाह ही सबसे अच्छा जानता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर