हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।सर्व प्रथम:
हम इस बात पर चेतावनी देते हैं कि उपर्युक्त तलाक़ों में से केवल वही तलाक़ें पड़ेंगीं जिनके बारे में किसी शरई अदालत ने फैसला दे दिया है, या आप ने उनके बारे में किसी विश्वस्त विद्वान से फत्वा पूछा है और उसने तलाक़ पड़ने का फत्वा दिया है।
दूसरा :
यदि इन तलाक़ों के बारे में किसी अदालत का फैसला नहीं है, या इसके बारे में कोई फत्वा नहीं पूछा गया है, तो मेरे लिए जो बात स्पष्ट और प्रत्यक्ष होती है वह निम्नलिखित है :
पहली तलाक़ : यदि तलाक़ सख्त गुस्से की हालत में हुई है और उसे तलाक़ देने पर गुस्से ने ही उभारा है और यदि गुस्सा न होता तो वह तलाक़ न देता, तो राजेह (उचित) कथन के अनुसार तलाक़ नहीं पड़ेगी भले ही पति गुस्से की हालत में जो कह रहा था उसे समझता था। तथा प्रश्न संख्या (45174) का उत्तर देखें।
दूसरी तलाक़ : यह लंबित तलाक़ में से है, और उसमें पति की नीयत को देखा जायेगा, यदि उसने तलाक़ की नीयत की है तो एक तलाक़ हो जायेगी, और यदि उसने धमकी और रोकने की नीयत की थी तो उसके ऊपर क़सम का कफ्फारा अनिवार्य है, और यदि वह अपनी नीयत भूल गया है तो तलाक़ हो जायेगी।
तीसरी तलाक़ : यदि पति वास्तव में इस बात से डर रहा था कि तुम बच्चों को मार डालो गी या उन्हें स्पष्ट नुक़सान पहुँचाओ गी, तो उसकी तलाक़ नहीं पड़ेगी ; क्योंकि वह मजबूरी का तलाक़ है।
चौथी तलाक़ : लंबित तलाक़ में से है, और वह नहीं पड़ेगी सिवाय इसके कि आप उपने समस्याओं की किसी से शिकायत कर दें और पति अपनी बात से तलाक़ की इच्छा रखता था।
पाँचवी तलाक़ : लंबित तलाक़ में से है, और उस से पति की नीयत तलाक़ की थी, अतः वह तलाक़ हो जायेगी।
इस आधार पर : पहली तलाक़ के साथ गुस्से की मुद्रा की जानकारी के द्वारा उसके हुक्म का पता चल जाता है।
तथा पति के पास जाकर और उसकी नीयत के बारे में पूछकर दूसरी तलाक़ का हुक्म जाना जा सकता है।
इसी तरह उस से जानकारी करके तीसरी तलाक़ का हुक्म जाना जा सकता है।
यदि अंतिम तलाक़ के बाद पति ने आपको नहीं लौटाया है, और आपकी इद्दत समाप्त हो गई, तो यह आप दोनों के बीच जुदाई हो गई, और वह आपके पास एक नये शादी के अनुबंध के द्वारा ही लौट सकता है बशर्ते कि वह तलाक़ जो आपके ऊपर पड़ी है तीसरी तलाक़ न हो।