शनिवार 15 जुमादा-1 1446 - 16 नवंबर 2024
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वे कर्मचारियों को मुनाफे का एक हिस्सा देते हैं, जिसे वे अनिवार्य रूप से एक ब्याज-आधारित बैंक में ब्याज पर जमा कर देते है। तो इसका क्या हुक्म हैॽ

प्रश्न

मैं कनाडा में एक एल्युमीनियम फैक्ट्री में काम करता हूँ। हर साल के अंत में, कंपनी कर्मचारियों को मुनाफे का एक हिस्सा देती है। वे उस में से कुछ हिस्सा कर्मचारी को नक़द में देते हैं, और शेष हिस्सा अनिवार्य रूप से बैंक में जमा कर दिया जाता है, जिसे सेवानिवृत्ति होमे पर वापस लिया जाता है। बैंक में जमा किए गए इस हिस्से पर ब्याज प्राप्त होता है, और इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। तो इन पैसों के विषय में शरीयत (शरीअत) का क्या हुक्म हैॽ ज्ञात रहे कि मैं इस राशि को लेने से इनकार कर सकता हूँ। यहाँ ब्याज से बचने का एक और तरीक़ा है और वह उस पैसे को उनके साथ निवेश करना है। लेकिन वे हराम तिजारत में शामिल होते हैं, जैसे कि सूद-आधारित बैंक, शराब, सिगरेट और अन्य चीजें, तथा सूद-आधारित बैंकों में प्रतिभूतियाँ।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यह मुनाफा जो कंपनी प्रत्येक वर्ष के अंत में देती है, यह कर्मचारी के वेतन और पारिश्रमिक का एक हिस्सा है।

चूँकि यह राशि छांट कर कर्मचारी के विशेष खाते में रखी गई है, इसलिए इसे उसके स्वामित्व में माना जाएगा, और उसे अपने रोजगार की अवधि के दौरान उसमें तसर्रुफ करने से रोकना यहाँ तक कि वह सेवानिवृत्त हो जाए, उसपर उसके स्वामित्व को अधूरा बना देता है, लेकिन यह उसपर उसके मूल स्वामित्व को रद्द नहीं करता है।

कंपनी का उसे एक ब्याज-आधारित खाते में जमा करना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है ; क्योंकि वे उसे एक हराम प्रकार के खाते में जमा करके उसके अधिकार पर हावी हो गए हैं। यदि हम यह कहें कि उसे उसमें तसर्रुफ़ करने से रोका जाना उसकी सहमति के साथ था, जिसके लिए उसने अपने रोजगार अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय सहमति दी थी, तब भी उनके लिए किसी भी परिस्थिति में इसे रिबा-आधारित खाते में जमा करने की अनुमति नहीं है।

इस धन को प्राप्त करने के बाद, कर्मचारी को चाहिए कि उसे उस (व्याज) से शुद्ध करे, भले ही वह उससे सहमत न था। क्योंकि वह उसके धन से उत्पन्न हुआ है। इसलिए वह ब्याज की उस अतिरिक्त धनराशि को धर्मार्थ कारणों में दान कर दे ताकि वह हराम धन से छुटकारा प्राप्त कर ले और उसे उनके लिए ना छोड़े।

यदि मामला इस धन को शुद्ध रिबा (सूद) के माध्यम से या हराम के साथ मिश्रित निवेश के द्वारा विकसित करने के बीच घूमता हैः तो इसमें कोई संदेह नहीं कि दूसरा विकल्प पहले विकल्प की तुलना में हल्का है। तथा उसके लिए आवश्यक है कि जब वह इसे प्राप्त करे, तो उसके हराम अनुपात से छुटकारा हासिल करे। उसे अपनी यथाशक्ति उसका अनुमान लगाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।

और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद