हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
रिटायरमेंट फंड में बचाए गए पैसे में कर्मचारी पर ज़कात देना अनिवार्य नहीं है, इसलिए कि उसके पास इसका मालिकाना अधिकार अधूरा होता है। क्योंकि वह इस पैसे का हक़दार रिटायरमेंट के बाद ही होता है। उससे पहले वह इसे न ले सकता है और न इसमें कोई कार्रवाई कर सकता है।
ज़कात सम्मेलन की पांचवीं संगोष्ठी में कहा गया है :
“सर्व प्रथम : सेवा की समाप्ति पर मिलने वाले लाभ तथा सेवानिवृत्ति वेतन पर ज़कात
1- सेवा की समाप्ति पर मिलने वाला लाभ : यह एकमुश्त धन राशि होती है जिसका कर्मचारी अपनी सेवा के अंत में, कानून और नियमों के अनुसार नियोक्ता पर हक़दार होता है, अगर उसमें निर्धारित शर्तें पूरी होती हैं।
2- सेवानिवृत्ति उपदान : यह एकमुश्त धन राशि होती है जिसे राज्य या विशिष्ट संस्थानें सामाजिक बीमा कानून के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी या कार्यकर्ता को भुगतान करती हैं, यदि सेवानिवृत्ति वेतन (पेंशन) की पात्रता के लिए आवश्यक सभी शर्तें पूरी नहीं होती हैं।
3- सेवानिवृत्ति वेतन (पेंशन) : एक ऐसी धन राशि है, जिसका कर्मचारी या कार्यकर्ता हर महीने, राज्य या विशिष्ट संस्थान की ओर से, कानूनों और नियमों के अनुसार, अपनी सेवा समाप्त होने के बाद, हक़दार होता है, अगर उसमें निर्धारित शर्तें पूरी होती हैं।
4- श्रमिक या कर्मचारी पर अपनी सेवा की अवधि के दौरान इन अधिकारों (लाभों) में ज़कात अनिवार्य नहीं है, क्योंकि उसके पास उस धन का पूरा अधिकार नहीं है, जो कि ज़कात के अनिवार्य होने के लिए शर्त है।
5- यदि इन अधिकारों (लाभों) के संबंध में यह निर्णय जारी हो जाए कि उन्हें निर्धारित करके, एक बार में या आवधिक अंतराल पर, कर्मचारी या कार्यकर्ता को सौंप दिया जाए : तो यह राशि पूरी तरह से उसकी संपत्ति बन जाती है और उस धन में से जो राशि उसके कब्जे में आ गई, उस पर उसे प्राप्त धन के रूप में ज़कात देनी होगी।
प्रथम ज़कात सम्मेलन में यह उल्लेख किया जा चुका है : साल के दैरान प्राप्त धन की ज़कात, निसाब एवं साल बीतने के संदर्भ में, उसे ज़कात देने वाले व्यक्ति के पास पहले से मौजूद धन के साथ जोड़कर भुगतान की जाएगी।”
डॉ. वहबा अज़-ज़ुहैली की पुस्तक “अल-फ़िक़्हुल इस्लामी व अदिल्लतुहू” (10/7948) से उद्धरण समाप्त हुआ।
निष्कर्ष यह कि :
इन अधिकारों (लाभों) में आप पर ज़कात का भुगतान करना अनिवार्य नहीं है, यहाँ तक कि आप वास्तव में उन्हें प्राप्त कर लें और फिर उन्हें अपने ज़कात के धन में शामिल कर लें, अन्य सभी धन की तरह जो आप प्राप्त करते हैं और वह आपके स्वामित्व (अधिकार) में आ जाता है।
अधिक जानकारी के लिए, प्रश्न संख्या : (75390) देखें।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।