रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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मीक़ात से लगभग तीन घंटे पहले एहराम में प्रवेश करने की तैयारी करना

प्रश्न

हम मक्का से लगभग 300 किलोमीटर दूर रहते हैं और यह दूरी हमें कार से यात्रा करने में 3 घंटे से अधिक नहीं लेती है। क्या हमारे लिए यह जायज़ है कि हम अपने घरों में ग़ुस्ल करें और एहराम के कपड़े पहनें, फिर मक्का की यात्रा करेंॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हाँ, यह जायज़ है, लेकिन आप लोग मीक़ात से गुज़रने के समय ही एहराम में प्रवेश करने की नीयत करेंगे।

शैख इब्ने बाज़ (रहिमहुल्लाह) से एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पूछा गया जो मक्का से 350 किलोमीटर दूर रहता है और कार से मक्का की यात्रा करता है। क्या उसके लिए ग़ुस्ल करके और एहराम के कपड़े पहनकर अपने शहर में एहराम की तैयारी करना जायज़ हैॽ क्या उसके लिए अपने शहर से एहराम की स्थिति में प्रवेश करना जायज़ हैॽ

तो उन्होंने जवाब दिया :

उनके लिए अपने घरों ही से ग़ुस्ल करने, एहराम के कपड़े पहनने और इत्र लगाने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। क्योंकि वे कार के द्वारा मीक़ात के करीब हैं। लेकिन उनके लिए निर्धारित यह है कि वे मीक़ात ही से एहराम की स्थिति में प्रवेश करें। एहराम में प्रवेश करने का अर्थ है (हज्ज या उम्रा के) अनुष्ठानों (कृत्यों) में प्रवेश करने की नीयत करना। फिर उनके लिए नीयत करने के साथ-साथ हज्ज या उम्रा के अनुष्ठान का उच्चारण करना धर्मसंगत है। चुनाँचे वह कहेगा : “लब्बैका उमरतन” (मैं उम्रा के लिए उपस्थित हूँ) या “लब्बैका हज्जन” (मैं हज्ज के लिए उपस्थित हूँ), फिर वह शरई तल्बियह का पाठ करेगा, जो इस प्रकार है :

لبيك اللهم لبيك ، لبيك لا شريك لك لبيك ، إن الحمد والنعمة لك والملك لا شريك لك

“लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्ने’मता लका वल मुल्क, ला शरीका लक।” (मैं उपस्थित हूँ, ऐ अल्लाह! मैं उपस्थित हूँ, मैं उपस्थित हूँ, तेरा कोई साझी नहीं, मैं उपस्थित हूँ, हर प्रकार की स्तुति और सभी नेमतें तथा राज्य तेरा ही है, तेरा कोई साझी नहीं।)

अल्लाह सभी को वह करने का सामर्थ्य प्रदान करे जो उसे पसंद है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

फतावा इब्ने बाज़ (17/51)।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर