हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
किसी भी कंपनी, बैंक या वेबसाइट में निवेश के जायज़ होने के लिए निम्नलिखित शर्तें निर्धारित हैं :
- - निवेश के क्षेत्र के बारे में जानकारी होनी चाहिए और यह कि वह अनुमेय है। इसलिए ऐसी कंपनी में निवेश करना जायज़ नहीं है, जिसकी गतिविधि ज्ञात नहीं है। क्योंकि वह इस पैसे को रिबा (सूदी काम) में, या स्टॉक एक्सचेंज आदि में निषिद्ध (हराम) लेनदेन में, अथवा जुआ के अड्डों या बियर बार में निवेश कर सकती है, या इससे निषिद्ध वस्तुओं का व्यापार कर सकती है।
- - पूंजी की गारंटी नहीं होनी चाहिए। चुनाँचे नुक़सान की स्थिति में कंपनी पूंजी वापस करने के लिए बाध्य न हो, जब तक कि उसकी ओर से कोई कमी या लापरवाही न हुई हो और कंपनी ही नुकसान का कारण हो।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर पूंजी की गारंटी है, तो वास्तव में यह एक ऋण (क़र्ज़) है और इससे मिलने वाले लाभ को रिबा (सूद) माना जाएगा।
- - लाभ निर्धारित एंव सर्वसंमत हो। लेकिन इसे लाभ के सामान्य प्रतिशत के रूप में निर्धारित किया जाना चाहिए, न कि पूंजी के। इसलिए निवेशक को, उदाहरण के तौर पर, लाभ का एक तिहाई, या आधा या बीस प्रतिशत मिलेगा, पूंजी का नहीं।
लाभ के प्रतिशत का अज्ञात होना सही नहीं है, क्योंकि यह इस्लामी शरीयत की दृष्टि से लेनदेन को अमान्य (फ़ासिद) कर देता है।
इब्ने क़ुदामह रहिमहुल्लाह ने कहा :
मुज़ारबा (एक व्यापार जिसमें आदमी अपना धन किसी दूसरे को व्यापार करने कि लिए देता है और लाभ में दोनों साझेदार होते हैं) के वैध होने की शर्तों में से एक शर्त यह है कि काम करने वाले का हिस्सा निर्धारित होना चाहिए, क्योंकि वह शर्त के द्वारा ही उसका हक़दार होता है। इसलिए इसके बिना उसे निर्धारित नहीं किया जा सकता।
फिर उन्होने ने कहा :
“यदि वह कहता है : इसे (अर्थात यह धन) मुज़ारबा के रूप में ले लो और इसमें तुम्हारे लिए लाभ का एक हिस्सा, या लाभ में साझेदारी, या लाभ में से कुछ, या एक हिस्सा या भाग्य है। तो यह वैध (मान्य) नहीं है। क्योंकि यह राशि अज्ञात है और मुज़ारबा केवल एक ज्ञात मात्रा पर ही मान्य होता है...
तथा साझेदारी के संबंध में हुक्म मुज़ारबा के बारे में हुक्म के समान है, दोनों पक्षों में से प्रत्येक के लाभ की राशि को जानने के अनिवार्य होने में।” “अल–मुग़्नी” (5/24–27) से उद्धरण समाप्त हुआ।
रहा आपका यह कहना कि : “मैंने वेबसाइट पर पढ़ा है कि लाभदर 10% से 50% के बीच हो सकती है”, तो यदि इसका मतलब यह है कि यह लाभदर मुनाफ़े से होगी, तो यह लाभदर निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। क्योंकि यह अभी भी अज्ञात है। इसलिए इस वेबसाइट के साथ साझेदारी करना हराम (निषिद्ध) है। तथा अगर इसका मतलब यह है कि यह पूंजी का एक प्रतिशत होगा, तो यह हराम होने में और अधिक स्पष्ट है; क्योंकि इस स्थिति में यह ब्याज-आधारित ऋण (क़र्ज) प्राप्त करने की एक चाल है। यह एक वास्तविक साझेदारी नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।