हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हाँ, उस व्यक्ति पर रोज़ा रखना अनिवार्य है, जो रमज़ान में बेहोशी से पीड़ित हो जाता है। इसकी वजह से उससे रोज़ा समाप्त नहीं होता है।
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह से पूछा गया :
एक आदमी कुछ घंटों के लिए होश खो देता है, क्या उसपर रोज़ा अनिवार्य है?
तो उन्होंने जवाब दिया :
“यदि वह केवल कुछ घंटों के लिए होश खो देता है, तो उसपर रोज़ा अनिवार्य है, जैसे कि वह व्यक्ति जो (रोज़े की हालत में) थोड़ी देर के लिए सो जाता है। तथा उसका कभी-कभी दिन के दौरान या रात के दौरान होश खो देना, उसपर रोज़े की अनिवार्यता को नहीं रोकता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“फतावा अश-शैख इब्ने बाज़” (15/210)।
लेकिन अगर उसकी बेहोशी की अवधि लंबी हो जाए यहाँ तक कि वह पूरे दिन (यानी फ़ज्र से सूरज डूबने तक) बेहोश रहे, तो उसका रोज़ा सही (मान्य) नहीं है और उसपर उस दिन की क़ज़ा करना ज़रूरी है। परंतु अगर वह दिन के दौरान होश में आ जाए, तो उसका रोज़ा सही है।
तथा प्रश्न संख्या (12425 ) भी देखें।