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मैं एक वेब डिज़ाइनर के रूप में काम करता हूँ। ज्ञात रहे कि मेरे द्वारा डिज़ाइन की गई वेबसाइटों में महिलाओं की तस्वीरें शामिल नहीं होती हैं और न ऐसी तस्वीरें होती हैं जो इस्लामी नैतिकता आदि का उल्लंघन करती हों। तथा मैं अपने डिज़ाइनों में संगीत अथवा गाने शामिल नहीं करता हूँ। मैं केवल वेबसाइट का लुक डिज़ाइन करता हूँ। क्या इसकी वजह से मुझ पर कोई दोष होगाॽ तथा मैं जो पैसा कमाता हूँ वह ह़लाल है या ह़रामॽ यदि जिस ग्राहक के लिए मैंने वेबसाइट डिज़ाइन की थी, वह बाद में अपनी वेबसाइट पर निषिद्ध चीज़ें जैसे गाने, तस्वीरें और इसी तरह की चीज़ें डालता है, तो क्या इसकी वजह से मैं पाप का दोषी हूँगाॽ तथा क्या मेरे डिज़ाइन में बच्चों की तस्वीरों को शामिल करने में कोई आपत्ति हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यह एक ऐसा मुद्दा है, जो पापों के फैलने के परिणामस्वरूप, आजकल व्यापक चिंता का विषय बना हुआ है। निषिद्ध चीज़ों के तरीके और उपकरण विविध प्रकार के हैं। शायद ही कोई दरवाज़ा बचा हो जिसमें शैतान ने प्रवेश न किया हो, यहाँ तक कि मुसलमानों के लिए उनका मामला भ्रमित हो गया है और उन्हें ह़लाल को खोजने और निषिद्ध से बचने में कठिनाई का सामना है। अल्लाह सुब्हानहू व तआ़ला ही परहेज़गारों का रक्षक और अपने मोमिन बंदों के लिए पर्याप्त है। वह उनमें अपनी आज्ञाकारिता के प्रति उनके प्यार और अपनी अवज्ञा के प्रति उनकी घृणा को देखता है और वह अपनी अनुमति से उन्हें क्षमा, माफ़ी, प्रसन्नता और उपकार से पुरस्कृत करेगा।
इस्लामी शरीयत में, क्रय-विक्रय और किराए के अनुमत नियमों में से एक यह है कि : वह उन चीज़ों में से न हो जिनके द्वारा अल्लाह तआ़ला की अवज्ञा की जाती हो। अतः वह पाप करने में सहायक न हो, और न तो निषिद्ध कार्य करने का कारण बनता हो। क्योंकि जब इस्लामी शरीयत किसी चीज़ को ह़राम क़रार देती है, तो वह हर उस चीज़ को (भी) ह़राम कर देती है जो उस तक ले जाती है और उसके करने में मदद करती है, तथा वह उस तक ले जाने वाले हर रास्ते को बंद करने का आदेश देती है। अल्लाह तआ़ला ने फ़रमाया :
وَتَعَاوَنُواْ عَلَى ٱلۡبِرِّ وَٱلتَّقۡوَىٰۖ وَلَا تَعَاوَنُواْ عَلَى ٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡعُدۡوَٰنِۚ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَۖ إِنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلۡعِقَابِ
المائدة/ 2
“तथा नेकी और परहेज़गारी पर एक-दूसरे का सहयोग करो और पाप तथा अत्याचार पर एक-दूसरे की सहायता न करो। और अल्लाह से डरो। निःसंदेह अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है।” (सूरतुल-मायदा : 2)
शैख़ अब्दुर्रहमान सा’दी रहिमहुल्लाह कहते हैं :
“बंदे पर अनिवार्य है कि हर प्रकार की अवज्ञा और अत्याचार से अपने आपको रोके और फिर दूसरों का भी इन्हें छोड़ने पर सहयोग करे।” उद्धरण समाप्त हुआ।
देखिए : "तफ़सीर अस-सा’दी" (पृष्ठ संख्या : 218)।
तथा "अल्-मौसूअ़ह अल्-फ़िक़्हिय्यह" (3/140) में कहा गया है :
“धर्मशास्त्रियों की बहुमत के नज़दीक किसी ऐसे व्यक्ति को अंगूर बेचना सही नहीं है जो उन्हें शराब के रूप में उपयोग करता है, न ही किसी जुआरी को हेज़लनट बेचना, न ही चर्च बनाने के लिए घर बेचना, न ही क्रूस (सलीब) बनाने वाले से लकड़ी बेचना और न ही घंटी बनाने वाले से ताँबा बेचना जायज़ है। इसी प्रकार यही बात हर उस चीज़ पर लागू होगी जिसके बारे में यह ज्ञात हो कि क्रेता का इरादा किसी ऐसी चीज़ के लिए उपयोग करना है जो अनुमेय नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
अतः यदि विक्रेता या डिज़ाइनर या निर्माता को इस बात का यक़ीन है कि उसने जो कुछ डिज़ाइन किया है उसका उपयोग निषिद्ध उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, तो उसके लिए उसे बेचना या उसका उत्पादन करना जायज़ नहीं है। इसी प्रकार यही हुक्म उस समय भी होगा जब उसे इसकी प्रबल संभावना हो, भले ही वह निश्चित न हो।
लेकिन यदि उसे मामले में संदेह है, या जो कुछ वह बेचेगा और उत्पादित करेगा उसके उपयोग के परिणाम के बारे में वह कुछ भी नहीं जानता है, तो उसे बेचने और उसे डिज़ाइन करने में उसपर कोई हर्ज नहीं है। और उसका पाप उस व्यक्ति पर पड़ेगा जो उसका उपयोग ह़राम में करेगा।
इब्ने ह़ज़्म रहिमहुल्लाह कहते हैं :
“किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वस्तु बेचना जायज़ नहीं है जिसके बारे में निश्चित हो कि वह इसके द्वारा या उसमें अल्लाह की अवज्ञा करेगा और यह बिक्री हमेशा के लिए अमान्य होगी : जैसे किसी ऐसे व्यक्ति से कोई भी निचोड़ी जाने वाली चीज़ बेचना जिसके बारे में निश्चित रूप से मालूम हो कि वह इसका उपयोग शराब बनाने के लिए करेगा, या किसी ऐसे व्यक्ति को दास बेचना जिसके बारे में यह यक़ीन हो कि वह उसके साथ दुर्व्यवहार करेगा, या किसी ऐसे व्यक्ति से हथियार या घोड़े बेचना जिसके बारे में यह निश्चित हो कि वह उनका उपयोग मुसलमानों पर हमला करने के लिए करेगा, या किसी ऐसे व्यक्ति को रेशम बेचना जिसके बारे में यह निश्चित हो कि वह इसे पहनेगा, और इसी प्रकार हर चीज़ में यह नियम लागू होगा। क्योंकि अल्लाह तआ़ला का फ़रमान है :
وتعاونوا على البر والتقوى ولا تعاونوا على الإثم والعدوان
“तथा नेकी और परहेज़गारी पर एक-दूसरे का सहयोग करो और पाप तथा अत्याचार पर एक-दूसरे की सहायता न करो।” (सूरतुल-मायदा : 2)
जिन लेन-देन के प्रकारों का हमने उल्लेख किया है, वे पाप और अत्याचार में स्पष्ट सहयोग हैं, और उन्हें रद्द करना नेकी और परहेज़गारी में सहयोग है।
लेकिन यदि वह उनमें से किसी चीज़ के बारे में निश्चित नहीं है, तो बिक्री (लेनदेन) सही है; क्योंकि उसने किसी पाप में सहयोग नहीं किया है। अत: यदि खरीदार उसके बाद अल्लाह की अवज्ञा करता है, तो वही उत्तरदायी है। (अर्थात् : पाप केवल खरीदार पर है, विक्रेता पर नहीं।)” उद्धरण समाप्त हुआ।
देखिए : "अल-मुह़ल्ला" (7/522)
सवाल पूछने वाले मेरे भाई! यही हुक्म आपके लिए भी है :
यदि आपके पास कोई व्यक्ति वेबसाइट डिज़ाइन कराने के लिए आता है और आप जानते हैं कि वह एक ऐसी वेबसाइट डिज़ाइन करना चाहता है जिसका उपयोग निषिद्ध गतिविधियों के लिए होगा : जैसे कि सूद-ब्याज पर आधारित बैंक, या अश्लील चित्र, या शराब, सूअर का मांस और धूम्रपान जैसी निषिद्ध चीजें बेचना, या फिल्म और संगीत की वेबसाइटें : तो आपका उसके लिए वेबसाइट डिज़ाइन करना जायज़ नहीं है तथा आपके लिए उस बुराई में उसकी मदद करना जायज़ नहीं है जो वह चाहता है। बल्कि आपका दायित्व है कि आप उसे अच्छी सलाह दें, उसका मार्गदर्शन करें और उसे अल्लाह से डरने की याद दिलाएं।
यदि आप वेबसाइट डिज़ाइन करवाने के कारण के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं, या यदि वेबसाइट का उपयोग अधिकतर अनुमत और उपयोगी चीज़ों के लिए किया जाएगा, तो आपके उसे डिज़ाइन करने और बेचने में आप पर कोई दोष नहीं है, भले ही वेबसाइट का मालिक उसमें कुछ निषिद्ध चीजें शामिल कर दे। क्योंकि शरीयत के अह़काम उसपर आधारित होते हैं जिसकी सबसे अधिक संभावना हो, न कि दुर्लभ उदाहरणों पर।
रही बात आपके द्वारा डिज़ाइन की गई वेबसाइटों पर बच्चों की तस्वीरें शामिल करने के हुक्म की, तो यह जायज़ नहीं है। हमने पहले ही फोटोग्राफी के निषेध के बारे में बताया है, चाहे वह हाथ से खींची गई हो या मशीन (फोटो कैमरा) से ली गई हो, और इस निषेध का कोई अपवाद नहीं है, सिवाय उन तस्वीरों के जिनका संबंध किसी ज़रूरत या आवश्यकता से है, जैसे पासपोर्ट की तस्वीरें और अन्य चीजें जिनकी आवश्यकता है।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।