हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
फ़ुक़हा (धर्मशास्त्रियों) ने ज़कातुल-फ़ित्र के एक साअ को दो या उससे अधिक प्रकार के खाद्य पदार्थों से मिलाकर निकालने के बारे में, दो कथनों पर मतभेद किया है :
पहला कथन : यह है कि ऐसा करना सही (मान्य) और पर्याप्त नहीं है। यह शाफ़ेइय्या और इब्ने हज़्म अज़-ज़ाहिरी का कथन है। क्योंकि उन्होंने उन शरई नुसूस (मूलपाठों) के प्रत्यक्ष अर्थ (शाब्दिक अर्थ) का पालन किया है, जिनमें यह वर्णन किया गया है कि ज़कातुल-फ़ित्र कुछ विशिष्ट प्रकार के खाद्य पदार्थों से एक साअ की मात्रा है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति आधा साअ एक प्रकार के खाद्य पदार्थ से और आधा साअ दूसरे प्रकार के खाद्य पदार्थ से निकालता है, तो उसने उसका पालन नहीं किया जो शरई नुसूस (मूलपाठ) में वर्णित है।
अल्लामा नववी रहिमहुल्लाह ने “अल-मजमू” (6 / 98-99) में कहा :
“शाफ़ेई तथा लेखक - अर्थात शीराज़ी - और हमारे शेष सभी साथियों ने कहा : एक ही फ़ितरा में दो प्रकार के खाद्य पदार्थों को मिलाकर एक साअ देना पर्याप्त नहीं है ... जिस तरह कि क़सम (तोड़ने के) के कफ़्फ़ारा (परायश्चित) में पाँच गरीबों को कपड़े पहनाना और पाँच गरीबों को खाना खिलाना पर्याप्त नहीं है। क्योंकि उसे एक साअ गेहूँ या जौ वग़ैरह देने का आदेश दिया गया है और (ऐसा करके) उसने उनमें से किसी एक से एक साअ नहीं निकाला है। जिस तरह कि उसे दस गरीबों को खाना खिलाने या उन्हें कपड़े पहनाने के लिए कहा गया है और ऊपर बताए गए रूप में, उसने न तो दस गरीबों को कपड़े पहनाए हैं और न तो उन्हें खाना खिलाया है। यही हमारा (अर्थात शाफ़ेइय्यह का) मत है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा देखें : “मुग़्नी अल-मुहताज” (2/118), “तोहफ़तुल-मुहताज” (3/323).
इब्ने हज़्म रहिमहुल्लाह ने “अल-मुहल्ला” (4/259) में कहा :
“एक साअ (फ़ितरा) का कुछ हिस्सा गेहूँ के रूप में और कुछ हिस्सा खजूर के रूप में निकालना पर्याप्त नहीं होगा। तथा क़ीमत निकलना भी सिरे पर्याप्त नहीं होगा; क्योंकि ये सभी चीज़ें उसके अलावा हैं जो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अनिवार्य (निर्धारित) किया है।” संक्षेप के साथ उद्धरण समाप्त हुआ।
दूसरा कथन : यह है कि यह सही (मान्य) और पर्याप्त है। यह हनफिय्या और हनाबिला का दृष्टिकोण है। इन लोगों ने अर्थ पर ध्यान दिया है। इनका कहना है कि कई प्रकार के खाद्य पदार्थों से मिश्रित एक साअ ज़कात के उद्देश्य को पूरा करता है अर्थात् उससे गरीब व्यक्ति की पर्याप्ता, आत्म को शुद्ध करने और सदक़ा निकालने का उद्देश्य प्राप्त हो जाता है।
इब्ने रजब हंबली ने “अल-क़वाइदुल-फ़िक़्हिय्यह” (क़ायदा नंबर 101, पृष्ठ 229) में कहा :
“जिस व्यक्ति को दो चीजों के बीच (चुनाव का) विकल्प दिया जाए और उसके लिए उन दोनों में से आधा-आधा एक साथ करना संभव हो, तो क्या यह उसके लिए पर्याप्त होगा या नहींॽ
इसके संबंध में विभिन्न मत हैं और इसके अंतर्गत कई मुद्दे आते हैं :
जिनमें से एक यह है : यदि किसी व्यक्ति ने अपनी क़सम के कफ़्फ़ारा के तौर पर पाँच गरीबों को खाना खिलाया और पाँच गरीबों को कपड़ा पहनाया, तो प्रसिद्ध राय के अनुसार वह पर्याप्त होगा।
उन्हीं में से एक यह भी है : यदि उसने फ़ितरा में दो प्रकार के खाद्य पदार्थों को मिलाकर एक साअ निकाला : तो हंबली मत यह है कि वह पर्याप्त है, तथा उसमें एक अन्य विचार भी (यानी उसके पर्याप्त न होने का) है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा देखें : “अल-इंसाफ” (3/183) और “हाशियह इब्ने आबिदीन” (2/365)।
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की स्पष्ट सुन्नत का अनुसरण करते हुए, हम जिस दृष्टिकोण को अपनाते हैं, वह इमाम शाफ़ेई रहिमहुल्लाह का मत है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जत़कातुल फ़ित्र को एक साअ जौ, या एक साअ खजूर .... आदि अनिवार्य किया है।
तथा सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम भी उसे इसी तरह निकाला करते थे। अतः जिस व्यक्ति ने दो प्रकार के खाद्य पदार्थों को मिलाकर एक साअ फ़ितरा निकाला, उसने वह काम नहीं किया, जिसका अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आदेश दिया है।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।