सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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खून के नजिस (अशुद्ध) होने के प्रमाण और उसपर विद्वानों की सर्वसहमति

प्रश्न

अल्लामा शौकानी कहते हैं : अशुद्ध पदार्थों में निम्न शामिल हैं : 1. नर शिशु के मूत्र को छोड़कर, मनुष्यों का मल और मूत्र 2. कुत्ते की लार 3. पशुओं का गोबर और मलमूत्र 4. मासिक धर्म का रक्त 5. सूअर का मांस। इनके अलावा कुछ भी नजिस (अशुद्ध) नहीं है, भले ही वह इनसान की दृष्टि में गंदा हो; क्योंकि क़ुरआन और हदीस में इसे खाने के अलावा इसके हराम होने का कोई प्रमाण नहीं है। मेरा प्रश्न है : मानव एवं पशु रक्त और मृत पशु की अशुद्धता का प्रमाण क्या हैॽ और इस संबंध में सही दृष्टिकोण क्या है, क्योंकि हर मत के समर्थक दावा करते हैं कि उनकी राय क़ुरआन और सुन्नत से ली गई हैॽ मुझे किस दृष्टिकोण का पालन करना चाहिएॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

विद्वानों की सहमति के अनुसार बहता हुआ रक्त अशुद्ध है। यह क़ुरआन और सुन्नत के स्पष्ट प्रमाणों से पता चलता है। जिनमें से एक अल्लाह महिमावान का यह कथन है :

 قُل لاَّ أَجِدُ فِيمَا أُوْحِيَ إِلَيَّ مُحَرَّماً عَلَى طَاعِمٍ يَطْعَمُهُ إِلاَّ أَن يَكُونَ مَيْتَةً أَوْ دَماً مَّسْفُوحاً أَوْ لَحْمَ خِنزِيرٍ فَإِنَّهُ رِجْسٌ أَوْ فِسْقاً أُهِلَّ لِغَيْرِ اللّهِ بِهِ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَلاَ عَادٍ فَإِنَّ رَبَّكَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ

الأنعام :145

“(ऐ नबी!) आप कह दें कि मेरी ओर जो वह़्य (प्रकाशना) की गई है, उसमें मैं किसी खाने वाले पर, कोई चीज़ जो वह खाना चाहे, हराम नहीं पाता, सिवाय इसके कि मुरदार हो या बहता हुआ रक्त हो या सुअर का मांस हो; क्योंकि वह निश्चय ही नापाक है, या अवैध हो, जिसे अल्लाह के सिवा दूसरे के नाम पर ज़बह किया गया हो। परंतु जो विवश हो जाए (तो वह खा सकता है) यदि वह विद्रोही तथा सीमा लाँघने वाला न हो। निश्चय ही आपका पालनहार अति क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् है।” (सूरतुल अनआम : 145)

इमाम अत-तबरी रिहमुल्लाह ने कहा :

“रिज्स : नजिस (नापाक) और अशुद्ध को कहते हैं।" “जामिउल-बयान” (8/53)।

सही सुन्नत (प्रामाणिक हदीस) से प्रमाण : अस्मा बिन्त अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णित है कि उन्होंने कहा : एक महिला नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आई और कहा : हममें से किसी एक की पोशाक पर माहवारी का खून लग जाता है, तो वह उसके साथ क्या करेॽ आपने कहा : “वह उसे खुरच दे, फिर उसे पानी से मले, फिर उसे पानी से धो ले, फिर उसमें नमाज़ पढ़े।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 227) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 291) ने रिवायत किया है।

इमाम बुखारी ने इस हदीस को “रक्त धोने के अध्याय” के शीर्षक के तहत उल्लेख किया है, जबकि इमाम नववी ने इसे “रक्त की अशुद्धता और उसे धोने की विधि के अध्याय” के तहत उल्लेख किया है। भले ही यह हदीस मासिक धर्म के खून के बारे में आई है, लेकिन एक प्रकार के रक्त और दूसरे प्रकार के रक्त में कोई अंतर नहीं है; सभी रक्त एक ही वर्ग के हैं, चाहे वह किसी भी जगह से निकला हो।

इस हुक्म के बारे में सहाबा, ताबेईन और चारों इमामों के बीच कोई मतभेद नहीं है।

इमाम अहमद से ख़ून के बारे में पूछा गया और उनसे कहा गया : क्या आपकी नज़र में मवाद (पीप) और ख़ून एक ही हैं?

उन्होंने कहा : विद्वानों में खून के बारे में मतभेद नहीं है, लेकिन मवाद के बारे में उनका मतभेद है।" इब्ने तैमिय्यह की “शर्ह उमदतुल-फ़िक़्ह” (1/105) से उद्धरण समाप्त हुआ।

इमाम अन-नववी रहिमहुल्लाह कहते हैं :

“खून की अशुद्धता के प्रमाण स्पष्ट हैं, और मैं इसके बारे में किसी भी मुसलमान से किसी भी असहमति (मतभेद) के बारे में नहीं जानता, सिवाय इसके कि “अल-हावी” के लेखक ने कुछ मुतकल्लिमीन (कलाम के विद्वानों) के बारे में वर्णन किया है कि उनका कहना है कि वह शुद्ध (पाक) है। लेकिन सही दृष्टिकोण के अनुसार जो हमारे असहाब और अन्य मतों के उसूल के अधिकांश विद्वानों का मत है कि सर्वसम्मति एवं मतभेद के मामलों में मुतकल्लिमीन की गणना नहीं की जाती है, विशेष रूप से फ़िक़्ह के मुद्दों के संबंध में।” उद्धरण समाप्त हुआ। “अल-मजमू'” (2/576)।

सभी प्रकार के रक्त की अशुद्धता पर विद्वानों की सर्वसहमति का वर्णन विद्वानों के एक बड़े समूह ने किया है। इमाम अहमद और नववी का पहले उल्लेख किया जा चुका। उन्हीं विद्वानों में ये भी शामिल हैं : इब्ने हज़्म “मरातिब अल-इज्मा” (पृष्ठ : 19)में, इब्ने अब्दुल-बर्र “अत-तम्हीद” (22/230) में, अल-क़ुरतुबी “अल-जामे लि-अहकामिल-क़ुरआन” (2/210) में, इब्ने रुश्द “बिदायतुल-मुजतहिद” (1/79) में, तथा इब्ने हजर “फत्हुल-बारी” (1/352) में इत्यादि।

इसलिए - इस्लामी शरीयत और तर्कों के अनुसार - इस दृष्टिकोण का पालन करना बेहतर है, जिसे विद्वानों ने तवातुर (निरंतरता) के साथ वर्णन किया है और पुष्टि की है। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो क़ुरआन और सुन्नत के स्पष्ट पाठ (प्रमाणों) पर आधारित है। रक्त की शुद्धता के बारे में शौकानी और उनका अनुसरण करने वालों का कथन एक कमज़ोर (बे-वज़न) कथन है, और प्रमाण एवं विद्वानों की सर्वसहमति के विपरीत है। इसलिए इस दृष्टिकोण को भ्रम का कारण नहीं बनाया जाना चाहिए। तथा यह सोचना भी जायज़ नहीं है कि विद्वान किसी मुद्दे पर एकमत हो जाते हैं और उनके पास इसका कोई स्पष्ट सही प्रमाण नहीं होता है, जैसा कि ज्ञान के कुछ साधक (छात्र) रक्त की अशुद्धता और अन्य मुद्दों के बारे में सोचते हैं।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।  

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर