सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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वे एक दिन चुनकर मस्जिद में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में बात करते हैं और उसे मीलाद का नाम देते हैं

प्रश्न

यह बात अच्छी तरह से ज्ञात है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन का जश्न मनाना एक बिदअत (नवाचार) है। लेकिन बहुत से लोग मीलाद का आयोजन करते हैं, परंतु नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए नहीं, बल्कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके जीवन के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिए। यदि इस घटना (अवसर) का आयोजन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म के दिन न किया जाए तो क्या तब भी यह हराम होगाॽ क्या स्वयं मीलाद शब्द का उपयोग ही इस घटना को हराम घोषित करने का कारण बनता हैॽ उदाहरण के लिए, यदि मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन का परिचया कराता हूँ ... और मैं इसे मीलाद के शब्द से संबंधित नहीं करता हूँ, तो क्या फिर भी यह हराम समझा जाएगाॽ तथा उसी के संदर्भ में लोगों को खाना खिलाया जाएगा ..., मैं यह प्रश्न इसलिए पूछता हूँ क्योंकि आने वाले सप्ताह के अंत में शनिवार को नववरवधू की शादी का जश्न मनाने के लिए एक रात्रिभोज आयोजित किया जाएगा, और चूंकि वहाँ लोगों की एक सभा होगी, इसलिए मेज़बानों ने रात का खाना परोसने के बाद, मस्जिद में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जीवन-परिचय प्रस्तुत करने का फैसला किया है और उन्होंने इसे मीलाद का नाम दिया है, लेकिन यह दिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म के दिन नहीं पड़ता है और न ही नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म का जश्न मनाया जाएगा, बल्कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में लोगों को अवगत कराया जाएगा। वे नाचने आदि के बजाए ऐसा करेंगे ... ताकि लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन के बारे में जानकारी से अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। कृपया सलाह दें। दूसरा प्रश्न यह है किः अगर मैं सिर्फ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन के बारे में लोगों को परिचय देने और उपस्थित लोगों को भोजन प्रदान करने के लिए, मस्जिद में एक सभा आयोजित करूँ, तो क्या यह जमावड़ा हराम होगाॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

किसी भी व्यकित के जन्मदिन का जश्न मनाना धर्मसंगत नहीं है, न तो नबियों का और न ही उनके अलावा किसी अन्य का; क्योंकि वह शारीअत में वर्णित नहीं है। बल्कि यह एक ऐसी चीज़ है जो गैर-मुसलमानों, जैसे यहूदियों, ईसाइयों और अन्य लोगों से ली गई है।

प्रश्न संख्या (10070) और (13810) का उत्तर देखें।

जन्मदिन मनाने का मतलबः किसी व्यक्ति के जन्म के दिन जश्न मनाना है, जैसे कि रबीउल अव्वल के बारहवें दिन जश्न मनाना, जिसे कुछ लोग यह मानते हैं कि वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म का दिन है।

जहाँ तक पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में बात करने, आपका परिचय कराने, आपके गुणों, स्वभाव व आचार और सुन्नतों का वर्णन करने का संबंध है, तो यह हर समय धर्मसंगत है और इस बातचीत को मौलिद (मीलाद) नहीं कहा जाता है, जिस तरह कि एक शादी के जश्न मनाने को मौलिद (मीलाद) नहीं कहा जाता। लेकिन कुछ मुस्लिम देशों में यह प्रचलित है कि हर वह उत्सव जो धर्मसंगत रूप से मनाया जाता है, जिसमें कोई नृत्य, संगीत या मिश्रण नहीं हो, तो वे उसे मीलाद का नाम देते हैं। चुनाँचे वे कहते हैं: हम शादी के दिन या खत्ना के दिन मीलाद करेंगे। अतः कोई व्यक्ति आता है जो लोगों को नसीहत करता है, और कोई क़ुरआन का पाठ करता है, इत्यादि। इसा नामकरण का कोई आधार नहीं है, और इससे हुक्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है कि लोग शादी का जश्न मनाएं, और कोई व्यक्ति उसमें लोगों को संबोधित कर उन्हें नसीहत करे और उन्हें भलाई की याद दिलाए, या कोई पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में बात करे और आपकी जीवनी और आपके स्वभाव व आचार का उल्लेख करे। यह धर्मसंगत है, और नवाचारित मीलाद मनाने के अंतर्गत नहीं आता है।

तथा लोगों को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में अवगत कराने के उद्देश्य से मस्जिद में कोई गतिविधि करने या बैठक आयोजन करने में कुछ भी गलत नहीं है, बशर्ते कि किसी निश्चित दिन को उसकी श्रेष्ठता की आस्था रखते हुए विशिष्ट न किया जाए, जैसे कि मीलाद का दिन या अर्ध शाबान का दिन (15 वीं शाबान का दिन) या इस्रा और मेराज का दिन। बल्कि उसे शेष दिनों में से किसी दिन किया जाना चाहिए। तथा उपस्थित लोगों को भोजन प्रस्तुत करने में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन इस बात को प्रचारित करना महत्वपूर्ण है कि इसे मीलाद नहीं कहा जाता है, और यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन का उत्सव मनाने के हुक्म में नहीं आता है, ताकि कोई यह न सोचे कि मीलाद का जश्न मनाना धर्मसंगत (शरीअत के अनुकूल) है।

हम अल्लाह से प्रश्न करते हैं कि आपको पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत के अनुसार कार्य करने और लोगों के बीच उसका प्रचार करने की तौफीक़ प्रदान करे।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर