हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जब इंसान कसी ऐसे देश में मौजूद हो जिसके वासियों ने रोज़ा शुरू कर दिया हो तो उस पर उन के साथ रोज़ा रखना अनिवार्य है। क्योंकि इस मामले में जो आदमी किसी देश में मौजूद हो तो उसका हुक्म उसके वासियों के समान है। इसलिए कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "रोज़ा का दिन वह है जिस दिन तुम रोज़ा रखते हो,और रोज़ा तोड़ने (रोज़ा रखना बन्द कर देने) का दिन वह है जिस दिन तुम रोज़ा तोड़ देते हो, और क़ुरबानी का दिन वह है जिस दिन तुम क़ुरबानी करते हो।" इसे अबू दाऊद ने जैयिद सनद के साथ रिवायत किया है, और इस हदीस के उन के यहाँ और उन के अलावा दूसरों के यहाँ शवाहिद भी हैं।
तथा मान लो कि यदि वह उस देश से जिस के वासियों के साथ रोज़ा रखना शुरू किया था, दूसरे देश में स्थानान्तरित हो जाये, तो उस का हुक्म रोज़ा तोड़ने और रोज़ा जारी रखने में उस देश का हुक्म होगा जहाँ वह स्थानान्तरित होकर गया है। चुनांचि वह उन के साथ रोज़ा तोड़ दे गा (रोज़ा रखना बन्द कर देगा) यदि वे उस देश से पहले ही रोज़ तोड़ देते हैं जिसके साथ उस ने रोज़ा रखना शुरू किया था। लेकिन यदि उस ने 29 दिन से पहले ही रोज़ा बन्द कर दिया, तो उस पर एक दिन की क़ज़ा करना अनिवार्य है ; क्योंकि (हिज्री) महीना 29 दिन से कम नहीं होता है।