शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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खरीदने और बेचने के विषय में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का मार्गदर्शन

प्रश्न

मैं व्यापार के बारे में सुन्नत का तरीक़ा जानना चाहता हूँ। नबी सल्लल्लाहू अलैहि व सल्लम किस तरह व्यापार करते थे, किस प्रकार वस्तुओं का वर्णन करते थे, किस तरह उनका आदान-प्रदान करते थे, उन्हें किस तरह वापस करते थे?… इत्यादि।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

व्यापार करने, खरीदने और बेचने के संबंध में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मार्गदर्शन को संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है :

1- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने नबी बनाए जाने से पहले अपने चाचा अबू तालिब के साथ व्यापार में काम किया; तथा आपने खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा के लिए भी काम किया और इसके लिए आपने शाम के देश (लेवंत) की यात्रा की। आपने बाज़ारों में भी व्यापार किया; मिजन्ना और उकाज़ : जाहिलिय्यत (इस्लाम-पूर्व काल) में बाज़ार थे, जहाँ व्यापारी खरीदने और बेचने के लिए आते थे।

2- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) खुद ही लेन-देन करते थे, जैसा कि उमर रज़ियल्लाहु अन्हु के ऊँट और जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु के ऊँट की हदीस में उल्लेख किया जाएगा। या आप इसे अपने किसी साथी को सौंप देते थे, जैसा कि उरवह बिन अबिल-जा’द अल-बारिक़ी रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में वर्णित है कि उन्होंने कहा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें क़ुर्बानी का एक जानवर – या एक बकरी – खरीदने के लिए एक दीनार दिया। तो उन्होंने दो बकरियाँ खरीदीं। फिर उनमें से एक को एक दीनार में बेच दिया और वह एक बकरी और एक दीनार लेकर आपके पास आए। इसलिए आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनके लिए उनके व्यापारिक लेन-देन में बरकत की दुआ की। फिर (इसके बाद) अगर वह मिट्टी भी खरीद लेते तो उन्हें उसमें अवश्य लाभ होता।”

इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1258), अबू दाऊद (हदीस संख्या : 3384) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2402) ने रिवायत किया है और अलबानी ने “सहीह अत-तिर्मिज़ी” में इसे सहीह कहा है।

3- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम व्यापारियों को नेकी और ईमानदारी तथा दान देने का आदेश देते थे।

(क) हकीम बिन हिज़ाम रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “खरीद और बिक्री करने वाले दोनों पक्षों के पास तब तक (उस लेन-देन को रद्द करने का) विकल्प होता है जब तक कि वे अलग न हो जाएँ। यदि वे दोनों सच्चाई और ईमानदारी से काम लें और (सामान के दोष को) स्पष्ट कर दें, तो उन्हें उनके लेनदेन में बरकत दी जाती है। लेकिन यदि वे दोष को छिपाते हैं और झूठ बोलते हैं, तो उनके लेनदेन की बरकत मिटा दी जाती है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1973) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1532) ने रिवायत किया है।

(ख) इस्माईल बिन उबैद बिन रिफाअह ने अपने पिता के माध्यम से अपने दादा से वर्णित किया कि वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ नमाज़ स्थल पर गए, और आपने लोगों को आपस में खरीद और बिक्री करत हुए देखा, तो आपने फरमाया : “ऐ व्यापारियो!” तो उन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बात का जवाब दिया, और अपनी गर्दन और आँखें आपकी ओर उठाईं। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “व्यापारी लोग क़ियामत के दिन बुरे लोगों के रूप में उठाए जाएँगे, सिवाय उन लोगों के जो अल्लाह से डरते हैं, नेक, सच्चे और ईमानदार हैं।”

इस हदीस को तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1210) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2146) ने रिवायत किया है और अलबानी ने “सहीह अत-तरगीब” (1785) में सहीह कहा है।

(ग) क़ैस बिन अबू ग़रज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाया करते थे : “ऐ व्यापारियो, बिक्री में बेकार की बातें और (झूठी) क़समें शामिल हो जाती हैं, इसलिए तुम उसे सदक़ा (दान) के साथ मिला लिया करो।”

इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1208), अबू दाऊद (हदीस संख्या : 3326), नसाई (हदीस संख्या : 3797) और  इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2145) ने रिवायत किया है और अलबानी ने “सहीह अबू दाऊद” में सहीह कहा है।

4- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खरीद-फरोख्त में सहनशीलता और सहजता का आदेश देते थे।

जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “अल्लाह उस आदमी पर दया करे जो बेचने और खरीदने और भुगतान माँगने के समय आसानी से काम लेता है।” (सहीह बुखारी, 1970)

इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने कहा :

“इस हदीस में लेन-देन में सहनशीलता और उच्च नैतिकता का उपयोग करने और लड़ाई-झगड़ा त्यागने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। तथा भुगतान की मांग करने में लोगों के प्रति सख्त होने से परहेज करने और उनसे माफी को स्वीकार करन पर बल दिया गया है।”

“फत्हुल-बारी” (4/307)

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सहनशीलता और नरमी के उदाहरणों में से कुछ निम्नलिखित हैं :

  1. 1. इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्होंने कहा : हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एक यात्रा पर थे, और मैं उमर के एक अड़ियल युवा ऊँट पर सवार था। वह मुझ पर हावी हो जाता था और लोगों से आगे निकल जाता था। इसलिए उमर उसे डाँटते और पीछे लौटा देते। फिर वह आगे बढ़ जाता तो उमर उसे डाँटते और पीछे लौटा देते। इसपर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उमर से कहा : “इसे मुझे बेच दो।” उन्होंने कहा : यह आपका है, ऐ अल्लाह के रसूल। आपने फरमाया : “इसे मुझे बेच दो।” इसलिए उन्होंने उसे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बेच दिया। फिर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “ऐ अब्दुल्लाह बिन उमर! यह तुम्हारा है, इसके साथ जो चाहो करो।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 2610) ने रिवायत किया है।
  2. 2. जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि वह अपने एक ऊँट पर सवार थे जो इतना थक गया था कि वह उसे छोड़ना चाहता थे। वह कहते हैं : फिर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मुझसे आ मिले, तो आपने मेरे लिए दुआ की और ऊँट को मारा। फिर वह इतनी तेज़ी से चलने लगा, जितनी तेज़ी से वह कभी नहीं चला था। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “इसे मुझे एक औंस में बेच दो।” मैंने कहा : नहीं। आपने फिर फरमाया : “इसे मुझे बेच दो।” इसलिए मैंने उसे एक औंस में बेच दिया और शर्त रखी कि मुझे उसपर सवार होकर अपने घर तक जाने की अनुमति दी जाएगी। जब मैं घर पहुँचा, तो ऊँट लेकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सेवा में उपस्थित हुआ। आपने मुझे उसकी कीमत भुगतान की, फिर मैं वापस लौटा, तो आपने मेरे पीछे आदमी को भेजा और फरमाया : “क्या तुम यह सोचते हो कि मैंने तुम्हारा ऊँट लेने के लिए तुम्हें कम क़ीमत लगाई हैॽ अपना ऊँट और अपने पैसे ले लो, वे तुम्हारे हैं।”

इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1991) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 715) ने रिवायत किया है।

5- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों को उनके अधिकार सर्वश्रेष्ट रूप से देते थे और दूसरों से भी ऐसा करने का आग्रह करते थे।

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : एक आदमी का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर एक निश्चित उम्र का ऊँट क़र्ज़ था। वह उसका भुगतान माँगने के लिए आपके पास आया। अपने फरमाया : “उसे दे दो।” उन्होंने उसकी उम्र का ऊँट तलाश किया, लेकिन उन्हें उसके ऊँट से अधिक उम्र के अलावा कुछ नहीं मिला। तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “उसे (ही) दे दो।” इस पर उसने कहा : “आपने मुझे भर-पूर भुगतान किया, अल्लाह आपको भरपूर बदला दे। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : “बेशक तुममें सबसे अच्छे वे लोग हैं जो कर्ज चुकाने में सबसे अच्छे हैं।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 2182) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1601) ने रिवायत किया है।

  1. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस व्यक्ति के लेनदेन को रद्द करने का आग्रह किया है जो (लेनदेन करने के बाद) पछताता है।

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिसने किसी मुसलमान (से बिक्री के मामले) को रद्द कर दिया (यानी बेचा हुआ माल वापस ले लिया), अल्लाह क़ियामत के दिन उसके पाप को क्षमा कर देगा।”

इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 3460) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2199) ने रिवायत किया है, और अलबानी ने सहीह अबू दाऊद में इसे सही कहा है।

रद्द करने : का अर्थ है सहजता और आसानी से काम लेना और खरीद या बिक्री को रद्द करने पर सहमत हो जाना। यह आत्मा की उदारता को दर्शाता है।

“बिक्री को रद्द करने का उदाहरण : यदि कोई किसी व्यक्ति से कोई वस्तु खरीदता है, फिर उसे अपनी खरीद पर पछतावा होता है, या तो इसलिए कि उसे लगता है कि उसमें ग़बन हुआ है, या इसलिए कि उसे अब उस वस्तु की ज़रूरत नहीं है, या इसलिए कि उसके पास उसकी क़ीमत चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए वह विक्रेता को वस्तु वापस कर देता है और विक्रेता उसे वापस लेने के लिए सहमत हो जाता है : तो अल्लाह क़ियामत के दिन उसकी कठिनाई और संकट को दूर कर देगा। क्योंकि उसने खरीदार पर उपकार किया है और उसके प्रति दयालुता दिखाई है। क्योंकि लेन-देन अंतिम रूप से संपन्न हो चुका था, इसलिए खरीदार इसे रद्द नहीं कर सकता था।” औनुल-मा`बूद से उद्धरण समाप्त हुआ।

  1. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खरीदते समय मोलभाव करते थे, लेकिन वह वस्तु के वास्तविक मूल्य को कम आंकने की हद तक नहीं जाते थे, जैसा कि जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु के ऊँट से संबंधित हदीस में ऊपर गुज़र चुका है।

सुवैद बिन क़ैस रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने परमाया : मैं और मख़रमा अल-अब्दी “हजर” से कुछ कपड़ा लाए और उसे लेकर मक्का आए। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पैदल चलकर हमारे पास आए और हमसे कुछ पाजामे के लिए मोल-भाव किया और हमने उन्हें बेच दिया।”

इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1305) ने रिवात किया है और इसे “हसन सहीह” कहा है। तथा अबू दाऊद (हदीस संख्या : 3336), नसाई (हदीस संख्या : 4592) और इब्ने माजा (हदीस संख्या :  2220) ने रिवायत किया है।

8· नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों को वजन को प्रबल करने का आदेश देते थे।

सुवैद बिन क़ैस रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक आदमी को देखा जो मज़दूरी के लिए चीजों को तौल रहा था, तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उससे कहा : “तौलो और थोड़ा उसे झुका दो।”

यह पिछली हदीस का पूरक है।

  1. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों को तंगदस्त व्यक्ति को मोहलत (अधिक समय देने) या उसका क़र्ज माफ कर देने का आदेश देते थे।

अबुल-युस्र रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होनें कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिस व्यक्ति ने भी (आर्थिक) कठिनाई में फंसे व्यक्ति को (क़र्ज़ चुकाने के लिए) मोहलत दिया या उसके क़र्ज़ को माफ कर दिया, अल्लाह उसे अपनी छाया में छाया देगा।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 3006) ने रिवायत किया है।

10· नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सूद का लेन-देन, धोखे का लेन-देन, ईना का लेन-देन, निषिद्ध वस्तुओं का व्यापार करने से तथा धोखाधड़ी और छल से मना करते थे।

इसके प्रमाण बहुत हैं और सर्वज्ञात हैं।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सभी व्यापारिक लेन-देन में आपकी खरीद-बिक्री का विवरण हमारे पास नहीं है; क्योंकि आपका व्यापार जाहिलिय्यत (इस्लाम-पूर्व काल) के दौरान था, और तब तक आप पैगंबर नहीं बने थे, कि आपके कार्यों को आपके साथियों द्वारा प्रसारित किया जाता। लेकिन आपकी सुन्नत के बारे में जो कुछ भी उल्लेख किया गया है, वह इन शा अल्लाह पर्याप्त है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर