हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह फरमाते हैं :
‘‘मनुष्य के लिए अपनी क़ुर्बानी का गोश्त काफ़िर (नास्तिक) को इस शर्त के साथ दान के तौर पर देना जायज़ है कि वह काफ़िर उल लोगों में से न हो जो मुसलमानों से युद्ध (लड़ाई) करते हैं। यदि वह काफ़िर मुसलमानों से युद्ध करने वालों में शामिल है, तो उसे कुछ भी नहीं दिया जाएगा। क्योंकि अल्लाह तआला का फ़रमान है :
( لا يَنْهَاكُمْ اللَّهُ عَنْ الَّذِينَ لَمْ يُقَاتِلُوكُمْ فِي الدِّينِ وَلَمْ يُخْرِجُوكُمْ مِنْ دِيَارِكُمْ أَنْ تَبَرُّوهُمْ وَتُقْسِطُوا إِلَيْهِمْ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُقْسِطِينَ (8) إِنَّمَا يَنْهَاكُمْ اللَّهُ عَنْ الَّذِينَ قَاتَلُوكُمْ فِي الدِّينِ وَأَخْرَجُوكُمْ مِنْ دِيَارِكُمْ وَظَاهَرُوا عَلَى إِخْرَاجِكُمْ أَنْ تَوَلَّوْهُمْ وَمَنْ يَتَوَلَّهُمْ فَأُوْلَئِكَ هُمْ الظَّالِمُونَ ) [الممتحنة : 8-9]
‘‘अल्लाह तुम्हें इससे नहीं रोकता कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके साथ न्याय करो, जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया और न तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला। निःसंदेह अल्लाह न्याय करनेवालों को पसन्द करता है। अल्लाह तो तुम्हें केवल उन लोगों से मित्रता करने से रोकता है जिन्होंने धर्म के मामले में तुमसे युद्ध किया और तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला और तुम्हारे निकाले जाने के सम्बन्ध में सहायता की। जो लोग उनसे मित्रता करें वही ज़ालिम है।’’ (सूरतुल-मुमतहिनाः 8-9)