हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि आपके पास कोई घर है जहाँ आप तेल क्षेत्र में रहते हैं : तो आप वहाँ पहुँचने पर यात्री नहीं माने जाएँगे, बल्कि आपपर अपने शहर में और अपने कार्यस्थल में रोज़ा रखना अनिवार्य है, और आप केवल उन दोनों के बीच की दूरी में आते और जाते हुए यात्री माने जाएँगे।
इस स्थिति में, आपका हुक्म उस व्यक्ति के हुक्म के समान है जिसकी दो पत्नियाँ हैं और प्रत्येक शहर में एक पत्नी है - जिसे “दो निवास स्थान वाला” कहा जाता है - तो इस तरह का आदमी दोनों शहरों में पूरी नमाज़ पढ़ेगा और रोज़े रखेगा, और यदि वह चाहे तो रोज़ा तोड़ सकता है और उनके बीच की दूरी में यात्रा करते समय नमाज़ क़स्र कर सकता है।
यदि आपके पास तेल के क्षेत्र में आपके काम करने के सथान पर घर नहीं है, बल्कि यह केवल काम है : तो आप वहाँ एक यात्री हैं और वहाँ से वापस आने तक आपके लिए काम के दौरान रोज़ा न रखना जायज़ है, लेकिन आपपर नमाज़ पढ़ना अनिवार्य है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।