हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ये कार्य (अर्थात् नाखून काटना और जघन के बाल शेव करना) ऐसी चीजें नहीं हैं जो विशेष रूप से रोज़ा रखने वाले व्यक्ति के लिए अनिवार्य हैं, और न ही ये ऐसी चीज़ें हैं जो रोज़ा रखने के विपरीत हैं। रोज़ा रखने वाला व्यक्ति केवल खाने, पीने और संभोग करने (आदि) से दूर रहता है, जो कि (दरअसल) रोज़ा को अमान्य करने वाली चीज़ें हैं। तथा वह पापों और बुरी चीज़ों, जैसे ग़ीबत और चुग़ली करने, से भी दूर रहता है, जो कि रोज़े के सवाब को कम करने वाली चीज़ें हैं।
जहाँ तक नाखूनों और जघन के बालों की बात है, तो उन्हें काटना और शेव करना फ़ितरत की बातों (मनुष्य की प्राकृतिक स्वभाव) में से है, जिनके बारे में शरीयत-विधाता ने यह समय निर्धारित किया है कि उन्हें चालीस दिनों से अधिक नहीं छोड़ा जाना चाहिए। जबकि रोज़े की प्रामाणिकता का उनसे कोई लेना-देना नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।