रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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क्या रमज़ान में दिन के दौरान कोरोना वैक्सीन लेने से रोज़ा खराब हो जाता हैॽ

प्रश्न

रमज़ान में दिन के दौरान रोज़े की अवस्था में कोरोना (कोविद -19) वैक्सीन लेने का क्या हुक्म हैॽ

उत्तर का सारांश

रमज़ान में दिन के दौरान कोरोना का टीका लेने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। क्योंकि यह चिकित्सीय सुइयों (इंजेक्शन) के शीर्षक के तहत आता है जिनसे रोज़ा नहीं टूटता है; क्योंकि वह खाना या पीना नहीं है और न ही खाने और पीने के अर्थ में हैं।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

रमज़ान में दिन के दौरान कोरोना का टीका लेने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। क्योंकि यह चिकित्सीय सुइयों (इंजेक्शन) के शीर्षक के तहत आता है, जिनसे रोज़ा नहीं टूटता है; क्योंकि वह खाना या पीना नहीं है और न ही खाने और पीने के अर्थ में हैं। तथा वह खाने और पीने के सामान्य रास्तों अर्थात् मुंह और नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश नहीं करता है।

इस्लामी फ़िक़्ह काउंसिल के एक बयान में आया है, जो सऊदी अरब राज्य के जेद्दाह शहर में 23-28 सफ़र 1418 हिजरी / 28 जून - 3 जुलाई 1997 ई॰ की अवधि के दौरान आयोजित होने वाले उसके दसवें सम्मेलन के सत्र में जारी किया गया था :

“चिकित्सा के क्षेत्र में रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों के विषय पर काउंसिल में प्रस्तुत शोधों, तथा काउंसिल और अन्य निकायों के सहयोग से, मोरक्को राज्य के कासाब्लांका में 9 – 12 सफ़र 1418 हिजरी / 14 – 17 जून, 1997 ई॰ की अवधि के बीच, इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन फॉर मेडिकल साइंसेज द्वारा आयोजित नौवीं चिकित्सीय फ़िक़्ह संगोष्ठी द्वारा जारी किए गए अध्ययनों, अनुसंधानों और सिफारिशें की समीक्षा करने के बाद, तथा फ़ुक़हा (धर्मशास्त्रियों) और डॉक्टरों की भागीदारी के साथ इस विषय पर हुई चर्चाओं को सुनकर, और क़ुरआन और सुन्नत के प्रमाणों और फुक़हा के शब्दों को देखते हुए,

काउंसिल ने निम्नलिखित निर्णय लिया है :

सर्व प्रथम : निम्नलिखित चीज़ें रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से नहीं मानी जाएँगीं :

8- त्वचा या मांसपेशी या नसों में लगाए जाने वाले चिकित्सीय इंजेक्शन। जबकि तरल पदार्थ और पौष्टिक इंजेक्शन का मामला इससे अलग है।”

“मजल्ला मजमउल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी” के दसवें अंक से उद्धरण समाप्त हुआ।

“फतावा अल-लजनह अद-दाईमा लिल-इफ़्ता” (10/252) में आया है : “रमज़ान में दिन के दौरान, रोज़ेदार व्यक्ति के लिए मांसपेशी या नस में इंजेक्शन द्वारा दवा लेना जायज़ है। लेकिन रोज़ेदार के लिए रमज़ान में दिन के दौरान पौष्टिक इंजेक्शन लेना जायज़ नहीं है। क्योंकि यह भोजन और पेय का सेवन करने के समान है। इसलिए ऐसे इंजेक्शनों का उपयोग रमज़ान में रोज़ा तोड़ने के लिए एक बहाना (चाल) के रूप में माना जाता है। यदि रात के दौरान मांसपेशी या नसो में इंजेक्शन देना आसान है, तो यह बेहतर है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा : “विद्वानों ने रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों के साथ : उन चीज़ों को भी शामिल किया है जो भोजन और पेय के अर्थ में हैं, जैसे कि पौष्टिक इंजेक्शन। तथा वह इंजेक्शन जो शरीर को सक्रिय करता है या ठीक करता है, उसे पौष्टिक इंजेक्शन नहीं माना जाता है। बल्कि पौष्टिक इंजेक्शन वह है जो खाने और पीने का स्थान लेता है।

इस आधार पर, सभी वे इंजेक्शन जो खाने और पीने (भोजन और पेय) की जगह नहीं लेते हैं, वे रोज़ा नहीं तोड़ते हैं, चाहे उन्हें नस में या जांघ में या किसी अन्य जगह में दिया जाए।‘’

“मजमूओ फतावा व रसाइल अल-उसैमीन” (19/199) से उद्धरण समाप्त हुआ।

आदरणीय शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ रहिमहुल्लाह से पूछा गया :

“क्या टीका के इंजेक्शन रोज़े को प्रभावित करते हैंॽ

तो उन्होंने जवाब दिया:

“वे प्रभावित नहीं करते हैं, और रोज़ा सही (मान्य) है। चुनाँचे जो इंजेक्शन टीकाकरण के लिए हैं तथा वे इंजेक्शन जो चिकित्सा उपचार के लिए हैं, सही दृष्टिकोण के अनुसार, रोज़ा को प्रभावित नहीं करते हैं। परंतु जो इंजेक्शन पोषण के लिए हैं, तो यही वे इंजेक्शन हैं, जो रोज़े को प्रभावित करते हैं। लेकिन नियमित इंजेक्शन जो टीकाकरण आदि के लिए हैं; तो सही दृष्टिकोण यह है कि वे रोज़े को प्रभावित नहीं करते हैं, और रोज़ा सही है।

प्रस्तुत कर्ता : अल्लाह आपको अच्छा प्रतिफल दे। क्या चाहे उन्हें मांसपेशियों के माध्यम से दिया जाए या नसों के माध्यम से दिया जाएॽ!

शैख : बिल्कुल, हाँ, यही सही दृष्टिकोण है।”

शैख इब्ने बाज़ की वेबसाइट से उद्धरण समाप्त हुआ।

शैख डॉ. सअद अल-ख़सलान हफ़िज़हुल्लाह ने कहा :

“अगर कोई व्यक्ति रमज़ान में दिन के दौरान कोरोना वैक्सीन की खुराक लेता है, तो क्या इससे उसका रोज़ा टूट जाएगाॽ

उत्तर : यह उसके रोज़े को नहीं तोड़ेगा, क्योंकि कोरोना वैक्सीन चिकित्सीय इंजेक्शन के समान है, और चिकित्सीय इंजेक्शन, सही कथन के अनुसार, रोज़े को नहीं तोड़ते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे भोजन या पेय नहीं हैं, और न ही भोजन और पेय के अर्थ में हैं। और मूल सिद्धांत : रोज़े का सही होना है, और हम इस मूल सिद्धांत से हट कर, रोज़ा टूटने की बात नहीं कह सकते जब तक कि कोई स्पष्ट प्रमाण न हो..

इसके आधार पर, हम कहते हैं : रोज़ेदार व्यक्ति के लिए कोरोना वैक्सीन लेने में कोई हर्ज नहीं है, और इसकी वजह से रोज़ा खराब (अमान्य) नहीं होता है।” एक वीडियो क्लिप से उद्धरण समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर