हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
तौबा अपने से पहले पापों को मिटा देती है। इसिलए आपने जो कुछ किया है, उसपर आपको पछतावा होना चाहिए, उसे दोबारा न करने का संकल्प करना चाहिए और इबादत में सत्यता अपनाना चाहिए। तथा दिन और रात में अधिक से अधिक नफ़ल नमाज़ें, नफ़ल रोज़े, ज़िक्र, क़ुरआन का पाठ और दुआ करना चाहिए। और अल्लाह तआला अपने बंदों की तौबा को स्वीकार करता है और उनके बुरे कर्मों को क्षमा कर देता है।